चंपा षष्ठी: व्रत करने धुल जाते हैं पूर्व जन्म के पाप ऐसे, ये है महत्व

चंपा षष्ठी: व्रत करने धुल जाते हैं पूर्व जन्म के पाप ऐसे, ये है महत्व
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चंपा षष्ठी शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार भगवान शिव के अवतार खंडोवा या खंडेराव को समर्पित है।

चंपा षष्ठी शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार भगवान शिव के अवतार खंडोवा या खंडेराव को समर्पित है। खंडोबा को किसानों, चरवाहों और शिकारियों आदि का मुख्य देवता माना जाता है।

यह त्योहार कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों का प्रमुख त्यौहार है। इस बार चंपा षष्ठी 24 नवंबर (शुक्रवार) को है। चंपा षष्ठी व्रत करने से जीवन में खुशियां बनी रहती है। ऐसी मान्यता है कि यह व्रत करने से पिछले जन्म के सारे पाप धुल जाते हैं और आगे का जीवन सुखमय हो जाता है।

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ये है महत्व

दक्षिण भारत के पुणे, महाराष्ट्र के जेजुरी में खंडोबा मंदिर में चंपा षष्टी को उत्साह से मनाया जाता है। त्योहार के छह दिनों के दौरान खंडोबा के प्रतापी भक्त उपवास करते हैं। इस दिन भक्त हल्दी पाउडर, सेब के पत्ते, फल और सब्जियां भगवान खंडोबा को अर्पित करते हैं।

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ऐसा माना जाता है कि समर्पण के साथ चंपा षष्टी का जश्न मनाने वाले भक्तों पर देवता का आशीष रहता है जो उन्हें सभी बुराइयों और भय से बचाता है। अमावस्या से शुरू होने वाले सभी छह दिनों में भक्त प्रभु की आराधना करते हैं और प्रभु का प्रसाद ग्रहण करने के बाद चंपा षष्टी का अपना उपवास खत्म करते हैं।

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