पंचक फरवरी 2018: जानिए कब से शुरू है पंचक, क्या है इसका महत्व

ज्योतिष शास्त्र में पंचक काल को अशुभ माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार पांच नक्षत्रों के संयोग को पंचक कहा जाता है। इन पांच नक्षत्रों में घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती हैं।
पंचक का स्वामी ग्रह कुंभ और राशि मीन होती है। प्रत्येक माह आने वाले पंचक में इन पांच नक्षत्रों की भी गणना की जाती है। फरवरी माह में पंचक 15 फरवरी से प्रारंभ हो रहा है। यह पंचक कल 15 फरवरी (गुरूवार) की रात्रि 8 बजकर 39 मिनट से लेकर 20 फरवरी (मंगलवार) को दोपहर 02 बजकर 03 मिनट तक है।
पंचक का महत्व
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ज्योतिष शास्त्र में पंचक को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। हिन्दू धर्म में पंचक के दौरान कोई भी शुभ कार्य प्रारंभ करना अशुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि पंचक के दौरान कोई भी महत्वपूर्ण या शुभ कार्य करना शुभफलदायी नहीं होता है।
पंचक से जुड़ी खास बातें
- पंचक काल में परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु अशुभ मानी जाती है। मान्यता है कि यदि पंचक के समय परिवार का कोई सदस्य कोई सदस्य मृत्यु को प्राप्त होता है तो अन्य सदस्य पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।
- मान्यता है कि पंचक काल में देह त्याग करने वाले मनुष्य की आत्मा को शांति नहीं मिलती है।
- पंचक तिथि में शुरू किए गए कार्य को पांच बार करना होता है।
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- पंचक काल में दक्षिण की यात्रा करने के लिए मना किया जाता है और जमीन खरीदना और बेचना भी अशुभ माना जाता है।
- फर्नीचर की खरीदारी भी पंचक तिथि में अशुभ मानी जाती है।
- अगर कोई मृत्यु को प्राप्त किया है तो ऐसी परंपरा है कि उसके साथ 5 कुशा के पुतले बनाकर जला दिया जाता है जिससे परिवार के किसी सदस्य पर संकट न रहे।
- मान्यता है कि पंचक काल में कोई भी बुरा अथवा अच्छा कार्य पांच बार किया जाता है।
- इस समय कोई भी शुभ कार्य जैसे ग्रहप्रवेश और बच्चों का मुंडन नहीं करना चाहिए।
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