mokshda ekadashi 2020: साल 2020 का अंतिम मोक्षदा एकादशी व्रत कल, श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कही ये बात

mokshda ekadashi: मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार यह एकादशी मोक्ष प्रदान करने वाली और मनुष्य का कल्याण करने वाली एकादशी मानी जाती है। तो आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी की तिथि (Mokshada Ekadashi date) और व्रत कथा (fast story ) के बारे में।
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मोक्षदा एकादशी 2020 तिथि
25 दिसंबर 2020, दिन शुक्रवार
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा (Mokshada Ekadashi fast story)
एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा कि हे केशव आप तीनों लोकों के स्वामी है। और सबका कल्याण करने वाले हैं। मैं आपको प्रणाम करता हूं। हे माधव आप मेरे परम हितैषी हैं। इसलिए आप मुझे बताइए कि मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का नाम क्या है। इस दिन किस देव का पूजन किया जाता है। और उसकी देवता की पूजा करने की विधि क्या है। कृप्या मुझे बताएं।
श्रीकृष्ण भगवान बोले कि हे राजन! तुमने बहुत ही अच्छी बात पूछी है। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी समस्त पापों का नाश करने वाली एकादशी है। और इसे नाम मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। और इस बारे में, मैं एक कथा आपको सुनाता हूं।
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भक्तवत्सल श्रीकृष्ण भगवान ने बताया कि पूर्व काल में किसी नगर में वैखानस नाम का एक राजा अपना राज्य करता था। उसके नगर में अनेक वेदपाठी ब्राह्मण निवास करते थे। वह राजा सुख पूर्वक प्रजा का पालन करता था। एक दिन रात्रि में राजा ने एक सपना देखा। और सपने में उसने देखा कि उसके पिता नर्क में कष्ट भोग रहे हैं। दिन निकलते ही ही राजा ने ब्राह्मणों को अपने स्वप्न के बारे में बताया।
राजा ने ब्राह्मणों से कहा कि हे ब्राह्मण देवताओं अब आप कृपा करके कोई ऐसा उपाय बताइए जिससे मेरे पिता की सदगति हो जाए।
राजा के ऐसे वचन सुनकर ब्राह्मणों ने कहा कि हे राजन आप भूत, भविष्य और वर्तमान के ज्ञाता पर्वत ऋषि के पास जाएं। वहीं आपके दुख का निवारण कर सकते हैं। ब्राह्मणों के मुख से ऐसा सुनकर राजा पर्वत मुनि के पास गया। राजा ने मुनि को दंडवत प्रणाम किया। मुनि ने राजा से कुशलक्षेम पूछी।
राजा ने कहा कि मेरे चित में अत्यंत अशांति हो रही है। और अपना स्वप्न पर्वत मुनि को सुनाया। स्वप्न सुनकर पर्वत मुनि ने अपनी आंखें बंद की। और कुछ देर बाद मुनि बोले कि हे राजन मैंने योग से तुम्हारे पिता के कुकर्मों को जान लिया है। उन्होंने अपनी एक पत्नी को दूसरी पत्नी के कहने पर ऋतुदान मांगने पर भी नहीं दिया। और उसी पाप के फलस्वरुप तुम्हारे पिता नर्क भोग रहे हैं। ऐसा सुनकर राजा ने मुनि से से अपने पिता के उद्धर का उपाय पूछा।
पर्वत मुनि बोले कि हे राजन आप मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को निर्जला उपवास करें। और इस व्रत का फल अपने पिता को दे दें। इस व्रत के प्रभाव से आपके पिता को जरुर ही नर्क की यातनाओं से मुक्ति होगी। ऐसा सुनकर राजा ने अपने परिजनों समेत मार्गशीर्ष मास में शुक्ल एकादशी का व्रत किया। और अपने व्रत का सारा पुण्य अपने पिता को अर्पण किया। इस व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को नर्क की यातनाओं से मुक्ति मिली। और वह स्वर्ग को चले गए। मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन जो व्यक्ति व्रत आदि करते हैं उन लोगों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस व्रत से बढ़कर मोक्ष देने वाला और कोई व्रत नहीं है।
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