2024 Gangaur Puja Vidhi and Date: हिंदू पंचांग के मुताबिक, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर गणगौर पूजा की जाती है। सुहागिन महिलाओं के लिए यह पूजा विशेष महत्व रखती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत पति को बिना बताए किया जाता है। कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को करती हैं। चलिए जानते हैं गणगौर पूजा कब है? क्या है गणगौर पूजा का महत्त्व, पूजा विधि और कुछ ख़ास बातें -
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 10 अप्रैल (बुधवार) शाम 5 बजकर 32 मिनट से हो रही है। इसका समापन 11 अप्रैल (गुरूवार) दोपहर 3 बजकर 3 मिनट पर हो जाएगा। शुभ मुहूर्त 11 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 29 मिनट से 08 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।
गणगौर पूजा महत्व Gangaur Puja ka Mahatva
गण और गौर, दो शब्दों से मिलकर बना है गणगौर। गण का अर्थ शिव से और गौर का संबंध मां गौरी से है। गणगौर के दिन शिव-पार्वती की पूजा करने का विधान है। इस दिन शिव-पार्वती की पूजा विधि-विधान से करने पर महिलाओं को सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन और कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, गणगौर पूजा का उपवास पति को बिना बताए किये जाने का रिवाज है। यह व्रत सुख-समृद्धि के लिए होता है।
गणगौर पूजा विधि Gangaur Puja ki Vidhi
गणगौर व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें। अब स्वच्छ कपड़े पहनकर सुहागिन महिलाएं सोलह शृंगार अवश्य करें। इसके बाद मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमाएं तैयार करें। इसके पश्चात एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर दोनों प्रतिमाओं को स्थापित कर देवें। अब मां गौरी को सोलह शृंगार की चीजें अर्पित करें। इसके बाद घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें और शिव-पार्वती की आरती करें। शिव-पार्वती का प्रिय भोग अर्पित करें।
गणगौर का मतलब क्या होता है?
गणगौर का मतलब है- 'गण' और 'गौर'। गण यानी शिव (ईसर) और गौर का अर्थ है पार्वती। सही मायने में गणगौर के दिन मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा का विधान है। नवरात्रि के तीसरे दिन यानि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला गणगौर का त्योहार महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य प्राप्ति का पर्व है।