Chaitra Navratri Day 4: नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित, जानें पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती

चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन 12 अप्रैल (शुक्रवार) को है। इस दिन मां आदिशक्ति के चौथे स्वरुप 'मां कुष्मांडा' की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, मां कुष्मांडा की;

By :  Desk
Update:2024-04-12 06:20 IST
चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन 12 अप्रैल (शुक्रवार) को है। इस दिन मां आदिशक्ति के चौथे स्वरुप 'मां कुष्मांडा' की पूजा होती है।Chaitra Navratri Day 4 Maa Kushmanda Puja Vidhi Mantra Aarti
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Navratri 4th Day Maa Kushmanda: चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन 12 अप्रैल (शुक्रवार) को है। इस दिन मां आदिशक्ति के चौथे स्वरुप 'मां कुष्मांडा' की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, मां कुष्मांडा की सच्चे मन से आराधना करने से साधक के सभी रोग नष्ट हो जाते है। अधिष्‍ठात्री देवी मां कुष्मांडा ब्रह्मांड के मध्‍य में निवास करती हैं और संसार की रक्षा करती है। मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना से साधक को यश, बल और धन की प्राप्ति होती है। 

धर्म शास्त्रों के अनुसार, माता कुष्मांडा सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं। उनके शरीर की कांति भी सूर्य के समान तेज है। कहते है मां के तेज से सभी दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं। उनकी 8 भुजाएं है, इसकी वजह से मां कुष्मांडा अष्टभुजा देवी कही जाती है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा और आठवें हाथ में जपमाला शुशोभित है। माता कुष्मांडा सिंह की सवारी करती है। 

मां कुष्मांडा पूजा विधि

सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त होकर हरे रंग के वस्त्र पहनें। इसके बाद मां कुष्मांडा का ध्यान करें। अब धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान मां को अर्पित करें। मां को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करें। तत्पश्चात मां कुष्मांडा की आरती करें। 

मां कुष्मांडा का भोग 

मां कुष्मांडा को भोग के रूप में मालपुआ चढ़ाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि, मालपुआ का भोग लगाने से मां कुष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को शुभ आशीर्वाद देती है। मालपुआ के अलावा मां को दही और हलवे का भोग भी लगाया जा सकता है। 

मां कुष्मांडा का मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

मां कुष्मांडा का ध्यान मंत्र

वन्दे वांछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्.
सिंहरूढाअष्टभुजा कुष्माण्डायशस्वनीम्॥
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च.
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्.
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्.
जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्.
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

मां कुष्मांडा की आरती 

चौथा जब नवरात्र हो, कूष्मांडा को ध्याते।
जिसने रचा ब्रह्मांड यह, पूजन है उनका

आद्य शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप।
इस शक्ति के तेज से कहीं छांव कहीं धूप॥

कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार।
पेठे से भी रीझती सात्विक करें विचार॥

क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार।
उसको रखती दूर मां, पीड़ा देती अपार॥

सूर्य चंद्र की रोशनी यह जग में फैलाए।
शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए॥

नवरात्रों की मां कृपा कर दो मां
नवरात्रों की मां कृपा करदो मां॥

जय मां कूष्मांडा मैया।

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