Ganesh Ji Ke Alag Alag Rang: सनातन धर्म में भगवान गणेश जी को सभी देवी-देवताओं में प्रथम पूज्य का स्थान दिया गया है। हिंदू धर्म में हर देवी-देवता की पूजा के लिए हफ्ते का एक दिन निश्चित है। उन्हीं में एक है बुधवार का दिन, जो गणेश जी की पूजा के लिए सर्वोत्तम माना गया है। वैसे तो गणपति में अपनी आस्था रखने और उनकी पूजा करने के लिए किसी दिन की जरुरत नहीं होती है, लेकिन बुधवार के दिन विधि-विधान से गणपति पूजन करने का अलग महत्त्व हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार गणेश उपासना में अलग-अलग रंग की मूर्तियों के प्रयोग का भी अलग-अलग लाभ है। चलिए इस बारे में विस्तार से जानते है-
पीले रंग के गणपति की पूजा
(Peele Rang Ke Ganpati)
धर्म शास्त्र के मुताबिक, पीले रंग के गणपति की पहचान सर्वप्रथम उनके पीले रंग से की जाती है। इनकी छह भुजाएं होती है और यह हल्दी के समान पीले होते है। इनको घर में मुख्य पूजा स्थल पर ही स्थापित करना चाहिए। इन्हें 'हरिद्रा गणपति' कहा जाता है। इनकी पूजा से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
लाल रंग के गणपति की पूजा
(Lal Rang Ke Ganesh Ji)
धर्म शास्त्र के मुताबिक, मुख्य रूप से चार भुजाओं वाले लाल गणेश जी की पूजा ही विशेष महत्त्व रखती है। इनकी स्थापना घर अथवा कार्यस्थल के पूजा स्थान पर ही करनी चाहिए। इन्हें 'संकष्टहरण गणपति' कहा जाता है। इन्हें दूर्वा अर्पित कर प्रार्थना करने से संकटों से मुक्ति मिलती है।
सफ़ेद रंग के गणपति की पूजा
(Safed Rang Ke Ganesh Ji)
धर्म शास्त्र के मुताबिक, सफ़ेद रंग के गणपति की पूजा का बुधवार के दिन विशेष महत्त्व होता है। सफ़ेद गणपति जी को 'शुभ्र गणपति' या 'द्विज गणपति' भी कहा जाता है। इनकी चार भुजाएं होती है। इनकी उपासना से ज्ञान, विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है। विद्यार्थियों को नियमित इनका ध्यान करना चाहिए।
नीले रंग के गणेश जी की पूजा
(Neele Rang Ke Ganesh Ji)
धर्म शास्त्र के मुताबिक, नीले रंग के गणेश जी को 'उच्छिष्ट गणपति' भी कहा जाता है। इनकी चार भुजाएं होती हैं। नीले गणेश जी की पूजा में शुद्धि-अशुद्धि का विचार मन में नहीं होना चाहिए। उच्च पद प्राप्ति , कामना सिद्धि और तंत्र मंत्र से बचाव के लिए इनकी उपासना करने से शुभ लाभ प्राप्त होते है।