Holi 2025: सनातन धर्म में होली और दिवाली साल के दो सबसे त्यौहार माने जाते है। इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च को और धूलेड़ी अगले दिन 14 मार्च को मनाई जायेगी। लेकिन इससे एक महीने पहले 'होली का डांडा' गाड़ा जाएगा। होली का डांडा गाड़ने की परंपरा अब धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है। शहरों में यह परंपरा अब कम ही निभाई जाती है, लेकिन ग्रामीण परिवेश में आज भी यह परंपरा पूरे नियमों के साथ अपनाई जा रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होली का डांडा माघ महीने की पूर्णिमा को गाड़ा जाता है और यह तिथि इस वर्ष 12 फरवरी 2025 बुधवार को पड़ रही है। जानते है इसके बारे में अधिक- 

कब और कैसे रोपा जाता है होली का डांडा? 
(Holi ka danda Kab Rakhte Hai)

होली का डांडा रोपने की लुप्त होती परंपरा को आज भी देश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। होली का डांडा होलिका दहन से एक माह पूर्व माघ महीने की पूर्णिमा को गाड़ा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होलिका के भक्त प्रहलाद और उसकी बुआ की निशानी के तौर पर होली का डांडा रखा जाता है। इसमें मोहल्ले-गांव के चौक चौहारे पर दो डंडे रोपे जाते हैं, जोकि 'सेम का पौधा' होता है। इनमें से एक होलिका स्वरुप होता है और दूसरा भक्त प्रहलाद। इसके पश्चात जब होलिका दहन होता है तो, इनमें से प्रहलाद स्वरुप रखे डांडे को अग्नि से निकालकर बचा लिया जाता है और दूसरे को जलने दिया जाता है। 

डांडा गाडने के बाद इसके आस-पास गाय के गोबर से बने उपले और ढ़ेर सारी लकड़ियां रख दी जाती है। इसके पश्चात चारों तरफ रंगोली बनाई जाती है और विधिपूर्वक पूजन किया जाता है। आपको बता दें डांडों के चारों तरफ रखे उपलों को अलग ही तरह का आकार दिया जाता है, जिन्हें देसी भाषा में 'भरभोलिए' कहा जाता है। इन भरभोलिए में बनाते समय बड़े छेद किए जाते हैं और जब ये सूख जाते है तो इनकी माला बना ली जाती है, जिन्हें होली में जलाया जाता है। 

माघ पूर्णिमा 2025 का महत्व
(Magh Purnima 2025 Mahatav) 

इस वर्ष माघ पूर्णिमा 12 फरवरी 2025 को पड़ रही है। इस तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर शुभ कार्यों को करने से लंबे समय से रुके हुए कार्य भी पूरे होने लगते है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और उपासना करने से व्यक्ति को तमाम पापों से छुटकारा मिलता है। कहा जाता है कि, इससे जीवन खुशहाल होता है और जीवन में सकारातमक ऊर्जा का संचार होता है। 

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।