Matarani Ki Chunari: इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से 17 अप्रैल तक रहेगी। मां दुर्गा को समर्पित इन 9 दिनों में भक्त विधि-विधान से पूजा करते है और जीवन में सफलता की कामना लेकर उपवास रखते है। इसके बाद नवरात्रि के अंतिम दिन अपने व्रत को ख़त्म करते है और कुंवारी कन्याओं को भोजन करवाते है। इस दौरान कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर उनके चरण धोते है और उन्हें माता की प्रिय 'लाल चुनरी' ओढ़ाते है। यह लाल चुनरी काफी महत्त्व रखती है।
मां दुर्गा के अनेकों स्वरुप है, जिसमें दुर्गा जी, लक्ष्मी जी, सरस्वती जी इत्यादि शामिल है। स्वरुप चाहे कोई भी हो, लेकिन मातारानी को चुनरी चढ़ाने का रिवाज सदियों से चला आ रहा है। आमतौर पर लोग मातारानी को चुनरी चढ़ाने के लिए नवरात्रि जैसे विशेष पर्व का इंतजार करते है, लेकिन हिंदू धर्म शास्त्रों में इसके लिए ऐसा कोई विशेष दिन निश्चित नहीं किया गया है। शास्त्रों के मुताबिक, आप कभी भी-कहीं भी मातारानी के मंदिर में जाकर लाल चुनरी चढ़ा सकते है।
आपके दिमाग में कई बार यह सवाल जरूर आया होगा कि, मातारानी को चुनरी क्यों चढ़ाई जाती है? दरअसल, सनातन धर्म में गृहस्थ जीवन की शुरुआत ही चुनरी से होती है। शादी में वर पक्ष के द्वारा कन्या पक्ष को चुनरी दी जाती है। इसके बाद वहीं लाल चुनरी पहनकर कन्या विवाह मंडप में बैठती है।
मां लक्ष्मी को चढ़ाए सितारों वाली चुनरी
धन की देवी मां लक्ष्मी को सितारों वाली चुनरी चढ़ानी चाहिए। मान्यता है कि, इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और भक्त को आर्थिक समृद्दि प्रदान करती है। हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि, मां लक्ष्मी को चुनरी चढ़ाते वक्त साथ में केसर और कमल के फूल भी अर्पित करने चाहिए।
नवरात्रि जैसे विशेष पर्व को इंतजार किये बिना प्रत्येक गुरूवार को मां लक्ष्मी को लाल चुनरी, केसर, लाल चंदन और लाल फूल की माला चढ़ानी चाहिए। इस माला को चढ़ाने के बाद तिजोरी में रख देना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में हो रहे अनावश्यक खर्चों से निजात मिलती है और आर्थिक उन्नति होने लगती है।