Chankya Niti: प्रखंड विख्यात पंडित आचार्य चाणक्य विभिन्न विषयों के ज्ञाता थे। उनके द्वारा लिखे गए नीति शास्त्र में कई अहम बातों का जिक्र है, जिन्हें अपने जीवन में उतारकर कोई भी व्यक्ति सफलता का स्वाद चख सकता है। असाधारण व्यक्तित्व के धनी आचार्य चाणक्य ने अनुभव और जनहित को ध्यान में रखते हुए जो नीतियां तैयार की, वे आज के परिदृश्य में सटीक बैठती है। जानते है चाणक्य नीति के अनुसार सबसे बड़ा सुख, तप, रोग और धर्म क्या है। 

जीवन का सबसे बड़ा सुख क्या है? 
(Jeevan Ka Sabse Bada Sukh Kya Hai) 

चाणक्य नीति के अनुसार जीवन का सबसे बड़ा सुख 'संतोष' है। चाणक्य कहते है कि जिस व्यक्ति के जीवन में संतोष है, वह संसार का सबसे अधिक सुखी व्यक्ति है। व्यक्ति की कामना ही उसकी सबसे बड़ी शत्रु है। जो व्यक्ति संतुष्ट होता है, उसे दूसरों के सुख को देखकर ईर्ष्या नहीं होती है। 

जीवन का सबसे बड़ा तप क्या है? 
(Jeevan Ka Sabse Bada Tap Kya Hai) 

चाणक्य नीति के अनुसार जीवन का सबसे बड़ा तप 'शांति' है। आचार्य चाणक्य का मानना था कि कुछ लोगों के पास दुनिया की सभी सुख-सुविधाएं मौजूद होती है लेकिन शांति का अभाव होता है। ऐसे में शांति का अनुभव तभी होता है, जब व्यक्ति अपने मन को वश में करना सीख जाता है। 

जीवन का सबसे बड़ा शत्रु क्या है? 
(Jeevan Ka Sabse Bada Shatru Kon Hai) 

चाणक्य नीति के अनुसार जीवन का सबसे बड़ा शत्रु 'लालच' है। आचार्य चाणक्य का मानना था कि लालची व्यक्ति को कभी भी संतुष्टि प्राप्त नहीं होती है। वह दूसरों की चीजों को भी हड़पने का प्रयास करता है। इस तरह के व्यक्तित्व के पास संतुष्टि और सुख दोनों नहीं होते। 

जीवन का सबसे बड़ा धर्म क्या है? 
(Jeevan Ka Sabse Bada Dharma Kya Hai) 

चाणक्य नीति के अनुसार जीवन का सबसे बड़ा धर्म 'दया' है। आचार्य चाणक्य का मानना था कि जिस इंसान में दया नहीं वह पशु समान होता है। ईश्वर ने इंसान को यदि योग्य बनाया है तो उसे दूसरों के लिए दयाभाव से प्रस्तुत रहना चाहिए। यही वजह है कि दया को ही सबसे बड़ा धर्म माना गया है। 

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।