Mewal ki Maharani Udaipur: यहां आग की लपटों से अग्निस्नान करती मां आदिशक्ति! अद्भुत है इस मंदिर की कहानी

मंदिर में ईडाणा देवी की विशाल प्रतिमा स्थापित है। कहते है, मातारानी मंदिर में स्वयं अग्निस्नान करती है। धार्मिक मान्यता है कि, जो भी भक्त अग्निस्नान के दर्शन कर लेता है,;

By :  Desk
Update:2024-04-09 18:42 IST
मातारानी मंदिर में स्वयं अग्निस्नान करती है। जो भी भक्त अग्निस्नान के दर्शन कर लेता है, उसकी इच्छापूर्ति जल्द ही मां पूरी कर देती है।Mewal ki Maharani Ka Mandir
  • whatsapp icon

Mewal ki Maharani: वर्ष 2024 की चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ हो चुका है। मां आदिशक्ति के उपासक देवी के पूजा-वंदन में मग्न हो चुके है। लोग अपनी मनोकामना पूर्ति की इच्छा लेकर मां के मंदिरों में नमन कर रहे है। पूरे देश सहिते राजस्थान में भी कई ऐसे मंदिर है, जहां मातारानी का चमत्कार देखकर लोग दांतो तले उंगली दबा लेते है। एक ऐसे ही मंदिर के बारे में हम आपको बता रहे है, जहां मातारानी प्रसन्न होने पर स्वयं ही अग्निस्नान करती है। 

मां शक्ति का यह अनोखा चमत्कारिक मंदिर उदयपुर जिले में स्तिथ है। मेवाड़ की धरती पर स्तिथ इस मंदिर में विराजित मातारानी अग्नि स्नान के लिए पहचानी जाती हैं। लोगों के बीच मातारानी के संदर्भ में गहरी मान्यता है कि, यहां आने वाले हर लकवा रोगी का पलभर में इलाज हो जाता है। मेवाड़ की आराध्य देवी के रूप में पहचानी जाने वाली मां आदिशक्ति का यह मंदिर उदयपुर जिले के बम्बोरा गांव में स्तिथ है। मां को लोग यहां 'ईडाणा देवी' के नाम से जानते है। 

मां प्रसन्न होती है तो करती अग्निस्नान 

मंदिर में ईडाणा देवी की विशाल प्रतिमा स्थापित है। कहते है, मातारानी मंदिर में स्वयं अग्निस्नान करती है। धार्मिक मान्यता है कि, जो भी भक्त अग्निस्नान के दर्शन कर लेता है, उसकी इच्छापूर्ति जल्द ही मां पूरी कर देती है। ईडाणा देवी के मंदिर में जब भी देवी प्रसन्न होती है, तो आग की लपटें उठने लगती है। 

बिन पुजारी होती मंदिर में मां की पूजा 

ईडाणा देवी को स्थानीय राजा रजवाड़े अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते रहे हैं। मंदिर में भक्त मां को चढ़ावे के रूप में लच्छा चुनरी और त्रिशूल अर्पित करते है। चौंकाने वाली बात ये है कि, मंदिर में कोई भी पुजारी नहीं हैं। मंदिर में आने वाले लोग ही मां के सेवक है। यहां सभी धर्मों के लोग आते है और जो भी आता है मां का सेवक बन जाता है। मंदिर खुले चौक में स्थित है और मंदिर के ऊपर कोई छत भी नहीं है। मंदिर को उदयपुर मेवल की महारानी के नाम से जानते है। 

Similar News