Navratri Day 7 : नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि का करें ध्यान, नोट करें भोग, मंत्र, पूजा विधि और आरती

आज 15 अप्रैल 2024 को चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है। यह दिन मां आदिशक्ति दुर्गा के सातवें स्वरुप कालरात्रि को समर्पित है। दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासन;

By :  Desk
Update:2024-04-15 05:04 IST
दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना की जाती हैं। मां का यह रूप भयंकर है।Navratri 2024 Day 7 Maa Kalratri Puja Vidhi Mantra Aarti
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Chaitra Navratri 2024 Day 7 : आज 15 अप्रैल 2024 को चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है। यह दिन मां आदिशक्ति दुर्गा के सातवें स्वरुप कालरात्रि को समर्पित है। दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना की जाती हैं। मां की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के जीवन में ब्रह्माण्ड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। साथ ही तमाम असुरी शक्तियां मां कालरात्रि के नाम के नाम से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती है। मां का यह रूप भयंकर है। 

मां कालरात्रि का स्वरुप 

मां कालरात्रि अर्थात जिनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह काला है। इनका रूप भयानक है। बिखरे हुए सिर के बाल और कंठ में बिजली की तरह चमकती माला है। अंधकार रुपी जीवन में आ रही असुर रुपी नकारात्मक शक्तियों का विनाश करती है मां कालरात्रि। ये वो है जो काल से भी रक्षित करती है। 

मां के यह स्वरुप त्रिनेत्री है, तीनों ही नेत्र ब्रह्माण्ड के समान गोल हैं। इनकी श्वासों से अग्नि उत्पन्न होती है। गर्दभ की सवारी करती हैं। ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को आशीर्वाद देती है। वहीं, दाहिनी तरफ ही नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है, जो कहता है भक्तों हमेशा निडर और निर्भयी रहो।

माता के बायीं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा है और नीचे वाले हाथ में खड्ग है। मां अपने भयंकर स्वरुप के उलट भक्तों को सदैव शुभ फल देती है, इसलिए इन्हे शुभंकरी भी कहा जाता है। मां कालरात्रि के स्वरुप से भयभीत होने की जरुरत नहीं है बल्कि इनकी पूजा से भक्त पुण्य के भागी बनते है। 

मां कालरात्रि के पूजा मंत्र 

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

मां कालरात्रि की पूजा विधि 

- प्रातःकाल स्नान-ध्यान कर स्वच्छ कपड़े पहनकर पूजा स्थल की सफाई करें। 

- महासप्तमी पर मां कालरात्रि की पूजा सुबह-रात दोनों समय की जा सकती है। 

- माता की पूजा लाल रंग के आसन पर करना ही शुभकारी माना गया है। 

- मां कालरात्रि की स्थापित प्रतिमा के आसपास गंगाजल से छिड़काव करें। 

- अब घी का दीपक जलाकर पूरे परिवार के साथ माता के जयकारे लगाएं। 

- रोली, अक्षत, गुड़हल का फूल आदि चीजें मां कालरात्रि को अर्पित करें। 

-  गुड़ का भोग लगाएं और मातारानी की आरती करें और जयकारें लगाएं। 

- सुबह-शाम आरती के बाद दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। 

- लाल चंदन की माला अथवा रुद्राक्ष की माला से मां कालरात्रि के मंत्रों का जप करें। 

मां कालरात्रि की आरती 

कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।
काल के मुह से बचाने वाली ॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।
महाचंडी तेरा अवतार ॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
महाकाली है तेरा पसारा ॥

खडग खप्पर रखने वाली ।
दुष्टों का लहू चखने वाली ॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥

सभी देवता सब नर-नारी ।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥

ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
ना कोई गम ना संकट भारी ॥

उस पर कभी कष्ट ना आवें ।
महाकाली माँ जिसे बचाबे ॥

तू भी भक्त प्रेम से कह ।
कालरात्रि माँ तेरी जय ॥  

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