Navratri Day 6: नवरात्रि के छठे दिन करें मां कात्यायनी की पूजा, नोट करें मंत्र, आरती और पूजा विधि

रविवार, 14 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि 2024 का छठवां दिन हैं। यह दिन मां दुर्गा का स्वरुप मां कात्यायनी को समर्पित है। कहते है, मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करने से भक्तों क;

By :  Desk
Update:2024-04-13 23:30 IST
मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करने से भक्तों को सुख, समृद्धि और यश मिलता है।Navratri Day 6 Maa Katyayani Puja Vidhi Mantra Aarti
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Navratri Day 6 Maa Katyayani: रविवार, 14 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि 2024 का छठवां दिन हैं। यह दिन मां दुर्गा का स्वरुप मां कात्यायनी को समर्पित है। कहते है, मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करने से भक्तों को सुख, समृद्धि और यश मिलता है। इसके अलावा नवरात्रि के छठवें दिन कुवारी कन्या यदि पूरे श्रद्धा भाव से मां कात्यायनी की विधिवत पूजा अर्चना करती है, तो उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। जानते है मां कात्यायनी की पूजा विधि, मंत्र और आरती। 

मां कात्यायनी का स्वरुप

देवी पुराण में मां कात्यायनी के स्वरुप का अद्भुत वर्णन किया गया है। कहा गया है कि, ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने की वजह से इन्हें कात्यायनी नाम प्राप्त हुआ। मां कात्यायनी सिंह की सवारी करती है। उनके हाथो में तलवार और कमल फूल है। मां के इस स्वरुप की उपासना डर और भय दूर करती है। 

मां कात्यायनी पूजा विधि

  • सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और पूजा स्थल की साफ-सफाई करें। 
  • अब कलश की पूजा करें और पुष्प लेकर मां कात्यायनी के चरणों में अर्पित करें। 
  • अब मां कात्यायनी को अक्षत, कुमकुम, पुष्प और सोलह श्रृंगार भी अर्पित करें। 
  • इसके पश्चात मां कात्यायनी को प्रिय भोग शहद, मिठाई अर्पित करें। 
  • मां को जल अर्पित कर दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। 

मां कात्यायनी के मंत्र

पहला मंत्र

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।

दूसरा मंत्र

ऊं क्लीं कात्यायनी महामाया महायोगिन्य घीश्वरी,
नन्द गोप सुतं देवि पतिं मे कुरुते नमः।।

तीसरा मंत्र

पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्त अनुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।।

मां कात्यायनी का ध्यान मंत्र

वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥

स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥

पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥

मां कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे जय कात्यायनी।
जय जग माता जग की महारानी॥

बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा॥
कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥

हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥
हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते॥

कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की॥
झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥

बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये॥
हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी॥

जो भी माँ को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥
 

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