Pukhraj Stone Benefits: ज्योतिष के अनुसार रत्नों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इन्हें धारण करने से तरक्की के मार्ग प्रशस्त होते है। साथ ही कुंडली में मौजूद ग्रह दोष भी दूर होते है और आर्थिक उन्नति होने लगती है। ज्योतिष कहता है कि हर व्यक्ति को अपनी राशि के हिसाब से ही रत्न को धारण करना चाहिए, जिससे शुभ फलों की प्राप्ति हो। रत्नों की पहचान राशि और ग्रहों के हिसाब से होती है, उन्हीं रत्नों में एक हैं पुखराज का रत्न।
पुखराज रत्न चमकीले पीले रंग का दिखाई देता हैं। इसे पहनने से जातक को मानसिक शांति का अनुभव होता हैं। पुखराज को पुषराजा, पीतमणि, पुष्पराग, गुरु रत्न, गुरुप्रिया पुष्पराज और पितमन के नाम से भी पहचानते हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, धन-संपत्ति में बढ़ोतरी के लिए पुखराज रत्न धारण किया जाता है। हालांकि, इन्हें नियमों के हिसाब से ही पहनना चाहिए, अन्यथा इनका प्रभाव कम हो सकता है। जानते हैं पुखराज पहनने के लाभ और नियमों के बारे में-
पुखराज पहनने के लाभ
(Pukhraj Ratna Benefits)
पुखराज रत्न को बृहस्पति ग्रह से जोड़ा गया हैं। इसे बृहस्पति ग्रह का रत्न कहा जाता है। इसे धारण करने से जातक के धन में बढ़ोतरी होने की संभावना बनती है। इसे धारण करने से पाचन शक्ति भी मजबूत होती है। कहा जाता है कि, पुखराज पहनने से करियर में सफलता मिलती है और ज्ञान में बढ़ोतरी होती हैं।
पुखराज धारण करने का नियम
(Pukhraj Ratna Vidhi Niyam)
पुखराज रत्न को गुरूवार के दिन ही धारण करें। 5 से 7 कैरेट के पुखराज को हमेशा सोने की अंगूठी में जड़वाकर धारण करें। इसे पहनने से पहले अंगूठी को दूध के साथ गंगाजल में मिलकर रख देवें। इसके बाद शक्कर और शहद के घोल में रत्न को दाल देवें। इसके पश्चात गुरूवार को बृहस्पति देव की पूजा करें और फिर ' ऊं ब्रह्म बृहस्पतये नमः' मंत्र का जाप करें। इस पूजा के बाद अंगूठी को बृहस्पति देव के चरणों से स्पर्श करवाने के बाद अंगुलियों में धारण कर लेवें।
किन राशियों के लिए है पुखराज
(Pukhraj Ratna Rashiya)
ज्योतिष शास्त्र कहता है कि पुखराज रत्न को राशि के अनुसार ही पहनना चाहिए। ऐसे में मिथुन राशि, कन्या राशि और वृषभ राशि के लिए पुखराज को शुभ माना गया है। हालांकि, कुंडली में बृहस्पति की स्थिति को देखते हुए राशि अनुसार व्यक्ति को पुखराज धारण करना चाहिए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं व जानकारियों पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।)