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Shani Gochar Ke Prabhav aur Savdhaniyan: शनिदेव ही है जो एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए सबसे अधिक समय लेते है। शनिदेव का एक राशि से दूसरी राशि में जाना जातकों के लिए कई मुश्किलें बना सकता है, साथ ही कुछ राशियों के लिए लाभ भी दे सकता है। शनि का राशि परिवर्तन गोचर भी कहा जा सकता है। जानें शनि गोचर प्रभाव और सावधानियां-

Shani Gochar Ke Prabhav: ज्योतिष विज्ञान में शनिदेव को कर्मफलदाता ग्रह कहा गया है। व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देने वाले शनिदेव सबसे धीमी चाल चलते है। यही नहीं, शनिदेव ही है जो एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए सबसे अधिक समय लेते है। शनिदेव का एक राशि से दूसरी राशि में जाना जातकों के लिए कई मुश्किलें बना सकता है, साथ ही कुछ राशियों के लिए लाभ भी दे सकता है। शनि का राशि परिवर्तन गोचर भी कहा जा सकता है।

शनि गोचर के प्रभाव
(Shani Gochar Ke Prabhav)

अगर किसी राशि के जातक पर शनि की साढ़ेसाती लगी है, तो वह उसके जीवन पर ढाई-ढाई साल के लिए प्रभाव छोड़ती है। इससे जीवन में कई तरह के संकट खड़े हो जाते है। साथ ही आर्थिक परेशानियां भी चारों तरफ से घेरने लगती है। इसके अलावा व्यक्ति का करियर और कारोबार भी प्रभावित होने लगता है। 

शनि गोचर जातक के आर्थिक लाभ और आर्थिक हानि का कारण भी बन सकता है। शनि गोचर पारिवारिक जीवन, रिश्तों और स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। इससे कुछ लोगों के लिए जीवन में सुखद परिवर्तन संभव है और कुछ के लिए चुनौतियां। शनि की साढ़ेसाती के दौरान जातक संयम से समय निकालें। 

शनि गोचर के दौरान सावधानी
(Caution During Shani Gochar)

शनि गोचर के दौरान अपनी सेहत का ध्यान रखना बेहद आवश्यक होता है। अगर थोड़ी भी लापरवाही की तो वह मुसीबत बन सकता है। इसके अलावा शनि गोचर अवधि के दौरान जातक को धन प्रबंधन और निवेश पर विशेष ध्यान केंद्रित करना चाहिए। साथ ही धैर्य और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ काम करना चाहिए। शनि गोचर अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी। लेकिन इस दौरान की स्थिति को समझने के लिए ज्योतिषीय सलाह लेना आवश्यक हो जाता है। 

डिस्क्लेमर: यह जानकारी ज्योतिष मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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