Osamu Suzuki: नहीं रहे सुजुकी मोटर के पूर्व चेयरमैन ओसामु, भारत में Maruti 800 लॉन्च कर बदल दिया था खेल

Osamu Suzuki Death
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Osamu Suzuki Death: सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन के पूर्व चेयरमैन ओसामु सुजुकी ने अपनी आत्मकथा 'आई एम अ स्मॉल-बिजनेस बॉस' में लिखा है- "अगर मैं हर किसी की बात सुनता, तो चीजें बहुत धीमी हो जातीं।"

Osamu Suzuki Death: जापान समेत दुनिया की प्रतिष्ठित ऑटो कंपनी सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन (Suzuki Motor) के पूर्व चेयरमैन ओसामु सुजुकी का बुधवार (25 दिसंबर) को निधन हो गया, इसकी खबर शुक्रवार को सामने आई। 94 वर्षीय सुजुकी ने करीब 40 साल तक कंपनी को लीड किया और इसे एक वैश्विक ऑटोमोबाइल दिग्गज बनाया। ओसामु सुजुकी (Osamu Suzuki) लिंफोमा नामक गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे।

कैसा रहा करियर का शुरुआती सफर?
ओसामु सुजुकी का जन्म 30 जनवरी 1930 को जापान के गिफू प्रांत के गेरो में हुआ था। उनका असली नाम ओसामु मत्सुदा था। एक गरीब किसान परिवार में जन्मे ओसामु ने चुओ यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी की। उनकी चाहत राजनीति में करियर बनाने की थी, लेकिन सुजुकी परिवार में उनकी शादी होने के बाद जिंदगी में नया मोड़ आया, वे सुजुकी मोटर का का हिस्सा बन गए। शादी के बाद उन्होंने कंपनी को अपनी मेहनत और दूरदर्शिता से छोटे व्यवसाय से एक बड़े वैश्विक ब्रांड में बदल दिया।

भारत को Maruti 800 और कंपनी को नई दी ऊंचाई
1978 में सुजुकी मोटर के चेयरमैन बनने के बाद ओसामु सुजुकी ने कंपनी को एक नई दिशा दी। उन्होंने छोटे और किफायती वाहनों और मोटरसाइकिलों में विशेषज्ञता हासिल की। उनके नेतृत्व में कंपनी ने जनरल मोटर्स और फॉक्सवैगन जैसी बड़ी कंपनियों के साथ साझेदारी की। भारत में उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि मारुति सुजुकी का निर्माण और विस्तार था। उन्होंने भारतीय ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किफायती और भरोसेमंद वाहन उपलब्ध कराए। मारुति 800 कार ने भारत में ऑटोमोबाइल बाजार की तस्वीर बदल दी।

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PM मोदी ने ओसामु के निधन पर शोक व्यक्त किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पोस्ट में तस्वीरें शेयर कर लिखा- 'ग्लोबल ऑटो इंडस्ट्री की एक प्रसिद्ध हस्ती ओसामु सुजुकी के निधन से गहरा दुख हुआ। उनके दूरदर्शी कार्य ने गतिशीलता की वैश्विक धारणाओं को नया आकार दिया। उनके नेतृत्व में सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन एक ग्लोबल पावरहाउस बनकर उभरा, जिसने चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया, नवाचार और विस्तार को आगे बढ़ाया। उन्हें भारत से गहरा लगाव था और मारुति के साथ उनके सहयोग ने भारतीय ऑटोमोबाइल मार्केट में क्रांति ला दी।'

मोदी से बेहतर रिश्ते, मिला था पद्म भूषण
मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन आर.सी. भार्गव ने शोक व्यक्त करते हुए कहा- "ओसामु सुजुकी के बिना भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग इतना बड़ा नहीं बन पाता। उनकी दूरदर्शिता और साहस ने लाखों भारतीयों का जीवन बेहतर बनाया है। उन्होंने कई भारतीय प्रधानमंत्रियों का विश्वास हासिल किया। वर्तमान में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ उनकी बहुत गहरी समझ थी। भारतीय अर्थव्यवस्था और भारत-जापान के रिश्तों के बीच ब्रिज के तौर पर योगदान के लिए ओसामु को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।''

बड़े सहज स्वभाव के थे ओसामु सुजुकी
सुजुकी की नेतृत्व शैली दृढ़ और तीव्रता से भरी हुई थी। उन्होंने अपनी आत्मकथा 'आई एम अ स्मॉल-बिजनेस बॉस' में लिखा है- "अगर मैं हर किसी की बात सुनता, तो चीजें धीमी हो जातीं।" उनकी यही सोच उन्हें विश्व स्तर पर सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले चेयरमैन में से एक बनाती है। हालांकि, उनके करियर में विवाद भी आए। 2016 में जापान में वाहनों की ईंधन दक्षता परीक्षण प्रक्रिया में अनियमितताओं के कारण कंपनी को आलोचना का भी सामना करना पड़ा। उन्होंने सार्वजनिक तौर माफी मांगी और सुधार के लिए कारगर कदम उठाए।

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रिटायरमेंट और विरासत
2021 में ओसामु सुजुकी ने चेयरमैन पद से सेवानिवृत्त होकर कंपनी की बागडोर अगली पीढ़ी को सौंपी। लेकिन उन्होंने कंपनी से अपने जुड़ाव को बनाए रखा और सलाहकार की भूमिका में सक्रिय रहे। ओसामु सुजुकी की विरासत उनके साहस, नवाचार और भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में उनके योगदान के लिए जानी जाएगी। उनके निधन से भारत और जापान दोनों देशों के ऑटोमोबाइल उद्योग ने एक महान लीडर को खो दिया है। वे अपने पीछे पत्नी और तीन बच्चों को छोड़ गए।

(मंजू कुमारी)

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