Vehicle Scrap: व्हीकल स्क्रैपिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अनफिट, पुराने या प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हटाया जाता है, ताकि उनकी जगह नए और पर्यावरण-अनुकूल व्हीकल्स को बढ़ावा दिया जा सके। यह प्रक्रिया भारत की वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी द्वारा नियंत्रित होती है और इसमें एक व्यवस्थित आवेदन प्रक्रिया शामिल है। कोई वाहन मालिक कैसे स्क्रैपिंग के लिए आवेदन कर सकता है, जानें पूरी प्रोसेस?
प्राइवेट व्हीकल्स के लिए 20 साल से अधिक और कमर्शियल व्हीकल्स के लिए 15 साल से ज्यादा को फिटनेस टेस्ट पास करना जरूरी है। अगर वाहन फिटनेस टेस्ट में फेल होता है, तो उसे एंड-ऑफ-लाइफ वाहन (ELV) माना जाता है और स्क्रैपिंग के लिए भेजा जाता है।

भारत में वाहन स्क्रैपेज के लिए आवेदन प्रक्रिया

स्टेप 1: अधिकृत स्क्रैपिंग सेंटर से संपर्क करें
सरकार द्वारा स्वीकृत वाहन स्क्रैपिंग सेंटर खोजें। इन केंद्रों की जानकारी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) की वेबसाइट पर या स्थानीय RTO कार्यालयों में उपलब्ध होती है।

स्टेप 2: आवश्यक दस्तावेज तैयार करें
स्क्रैपिंग सेंटर पर जाने से पहले सभी जरूरी दस्तावेज एकत्र करें। इसमें शामिल हैं: मूल पंजीकरण प्रमाणपत्र (RC), पैन कार्ड (PAN), पहचान प्रमाण (आधार कार्ड या अन्य), एट्रेस प्रूफ आदि। 

स्टेप 3: स्क्रैपिंग की प्रक्रिया
दस्तावेजों की पुष्टि के बाद आपके व्हीकल को पर्यावरणीय नियमों के अनुसार नष्ट किया जाएगा। तरल पदार्थ और अन्य असुरक्षित सामग्रियों को पहले सुरक्षित रूप से हटा दिया जाता है, फिर वाहन को नष्ट किया जाता है।

स्टेप 4: स्क्रैपिंग का प्रमाण पत्र प्राप्त करें
वाहन स्क्रैपिंग के बाद मालिक को 'स्क्रैपिंग का प्रमाण पत्र' दिया जाता है। इस प्रमाणपत्र की जरूरत RTO में वाहन का पंजीकरण रद्द कराने के लिए होती है।

स्टेप 5: वाहन का रजिस्ट्रेशन कैंसिल करें
स्क्रैपिंग प्रमाणपत्र के साथ स्थानीय RTO में जाकर वाहन का पंजीकरण रद्द करवाएं। इससे वाहन की वैधता समाप्त हो जाती है और अनावश्यक दंड से बचा जा सकता है।

स्टेप 6: स्क्रैप मूल्य और अतिरिक्त लाभों का दावा करें
स्क्रैपिंग सेंटर आपको वाहन के स्क्रैप का मूल्य भुगतान करेगा, जो आमतौर पर चेक या डायरेक्ट बैंक ट्रांस्फर के जरिए होता है। स्क्रैपिंग प्रमाणपत्र के साथ नए वाहन के रजिस्ट्रेशन लागत पर भी छूट मिल सकती है।

(मंजू कुमारी)