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Amazon-Flipkart Sale: ई-कॉमर्स के इस युग में जेहन में एक सवाल हमेशा कौंधता है कि कोई चीज ऑनलाइन सस्ती है, तो वही चीज बाजार (shop) में महंगी क्यों है? जानिए फेस्टिव सेल में बंपर छूट का राज।

Amazon-Flipkart Sale: कई मौकों पर Flipkart और Amazon की सेल में मोबाइल फोन, फ्रिज, एसी और कई इलेक्ट्रॉनिक्स पर बड़ी छूट मिलती है। जो प्रोडक्ट बाजार में ₹11,000 का है, वही ऑनलाइन सस्ते दाम पर मिल जाता है, जिससे ग्राहक को खूब फायदा होता है। त्योहारों का मौसम आते ही Flipkart और Amazon जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी फेस्टिव सेल्स में जमकर छूट देती हैं। बाजार में जो सामान ₹11,000 का मिल रहा होता है, वही ऑनलाइन सिर्फ ₹9,000 में उपलब्ध हो जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि ये प्लेटफॉर्म इतनी कम कीमत पर सामान कैसे बेचते हैं और इसका खुदरा व्यापारियों पर क्या असर पड़ रहा है?

भारी डिस्काउंट का खेल कैसे चलता है?
ई-कॉमर्स कंपनियां बड़े निवेशकों की मदद से भारी छूट देने के लिए कैश बर्न स्ट्रैटेजी अपनाती हैं। आसान भाषा में कहें तो कंपनियां जानबूझकर प्रोडक्ट्स को कम कीमत पर बेचती हैं और इससे होने वाले घाटे को सहन करती हैं। उनका उद्देश्य बाजार में अपने प्लेटफॉर्म की पकड़ मजबूत करना है।

इस स्ट्रैटेजी के तहत कंपनियां ज्यादा से ज्यादा ग्राहक जोड़ने की कोशिश करती हैं, ताकि लंबे समय में वे मार्केट लीडर बन सकें। यही वजह है कि बड़े फेस्टिव सीजन में इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन और घरेलू सामानों पर भारी छूट देखने को मिलती है।

व्यापारियों को क्या नुकसान होता है?
छोटे और मझोले व्यापारियों के लिए यह स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण है। स्थानीय बाजार में वे जिस कीमत पर सामान बेचते हैं, उससे कहीं कम दाम पर वही सामान ऑनलाइन उपलब्ध हो जाता है। इससे ग्राहक सीधे ई-कॉमर्स साइट्स की ओर रुख करते हैं, जिससे स्थानीय रिटेलर्स की बिक्री घट जाती है। व्यापारिक संगठनों का कहना है कि इस तरह की अनफेयर प्रैक्टिस से न सिर्फ छोटे व्यापारी प्रभावित हो रहे हैं बल्कि इससे बाजार में असंतुलन भी पैदा हो रहा है।

विदेशी निवेश और नियमों का उल्लंघन?
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) और ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन (AIMRA) जैसे संगठनों का आरोप है कि ई-कॉमर्स कंपनियां विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) नियमों का उल्लंघन कर रही हैं। FDI के नियमों के अनुसार, ई-कॉमर्स कंपनियां सीधे ग्राहकों को डिस्काउंट नहीं दे सकतीं, लेकिन कंपनियां ब्रांड्स और बैंकों के साथ मिलकर भारी छूट ऑफर करती हैं।

ब्रांड्स की भूमिका
कुछ बड़े मोबाइल ब्रांड्स जैसे OnePlus, iQOO और Poco पर भी यह आरोप लगाया गया है कि वे ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ मिलकर कीमतों में हेरफेर करते हैं। इससे ग्राहक ऑफलाइन खरीदारी के बजाय ऑनलाइन खरीदारी को प्राथमिकता देते हैं, जिससे स्थानीय व्यापारियों का मुनाफा कम हो जाता है।

आगे का रास्ता
इस समस्या का समाधान तलाशने के लिए व्यापारिक संगठनों ने सरकार से अपील की है कि ई-कॉमर्स कंपनियों के संचालन को सख्त नियमों के दायरे में लाया जाए। साथ ही, छोटे व्यापारियों को प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

(ओवियान सिंह शाही)

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