Buying car on Loan Increased in India: देश में लोन लेकर कार खरीदने का चलन बढ़ रहा है। मौजूदा समय में 80% तक कारों की खरीदारी फाइनेंस के द्वारा हो रही है। Hyundai और Tata Motors जैसी प्रमुख कार निर्माता कंपनियों ने भी 2019 के बाद कारों की ब्रिकी बढ़ने का अनुभव किया है। ऑटोमोटिव बिजनेस इंटेलिजेंस फर्म जेटो डायनामिक्स के आंकड़ों की मानें तो भारत में कोरोना महामारी से पहले 2019 में 72 से 75 फीसदी कारें लोन पर उठी थीं। 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 77 से 80 फीसदी पर पहुंच गया।
लोन पर कारों की बिक्री बढ़ने के कारण
मारुति सुजुकी के सीनियर एग्जीक्यूटिव (सेल्स एंड मार्केटिंग) शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि इस चलन के पीछे तमाम बैंकों द्वारा फाइनेंस सर्विस के अलावा ब्याज दरों में कमी और नए ऑफर हैं। जिससे खरीदारों को गाड़ी खरीदने में ज्यादा मुश्किल नहीं होती है। दूसरी ओर, रूरल मार्केट में कई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) इस फील्ड में उतर चुकी हैं और कारों की बढ़ती मांग से भी बिक्री को रफ्तार मिल रही है। बल्क सेलिंग बढ़ी है और इसमें 95 फीसदी कारों की बिक्री फाइनेंस पर से होती है।
ऐसे बढ़ी प्रमुख कार कंपनियों की बिक्री
श्रीवास्तव ने बताया कि देश की प्रमुख कार निर्माता कंपनी Hyundai और Tata Motors ने भी 2019 के बाद फाइनेंस के जरिए बिक्री में इजाफा दर्ज किया। Hyundai की कुल सेलिंग में फाइनेंस का हिस्सा 2019 में 65 से 70 फीसदी था, जो 2023 में 77 से 82 फीसदी हो गया। इसी अवधि में Tata Motors का आंकड़ा 64 से 69 फीसदी से बढ़कर 71 से 76 फीसदी तक पहुंच गया है। मारुति के खरीदारों के लिए लोन देने वाले बैंक 2018 के मुकाबले दोगुने हो गए। बैंक की संख्या 6 से बढ़कर 13 और एनबीएफसी की संख्या 6 से बढ़कर 8 हो गई है।
मिडिल क्लास की परेशानी हल हुई
जेटो डायनामिक्स इंडिया के प्रेसिडेंट रवि भाटिया ने कहा कि वाहनों के दाम बढ़ने, आसानी से लोन मिलना, मध्यवर्ग का विस्तार और आर्थिक स्थिति में सुधार के कारण पैसेंजर व्हीकल मार्केट में फाइनेंस की पहुंच में वृद्धि हो रही है। भारत में कारों की कास्टिंग लगातार बढ़ रही है, ऐसे में वन टाइम पेमेंट या कैश से कार खरीदना मुश्किल हो चुका है। इस स्थिति में व्हीकल लोन ग्राहकों की परेशानी को दूर कर रहा है।