Digital Literacy: सर्वे में खुली पोल- देश में सिर्फ 28.5% नौजवान कर पाते हैं इंटरनेट सर्च, ईमेल और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन

NSO Survey Digital Literacy
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Digital Literacy: एनएसओ के सर्वे के मुताबिक, 84.2% युवा इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन "जटिल" डिजिटल कामकाज निपटाने में सक्षम युवाओं का प्रतिशत बहुत कम है।

Digital Literacy: देश में बढ़ते स्मार्टफोन यूजर्स और डिजिटल ऑपरेशंस के बीच एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। डिजिटल लिटरेसी से जुड़े सर्वे में सामने आया कि 15 से 29 साल के एक तिहाई से भी कम भारतीय युवा "इंटरनेट सर्च, ईमेल भेजने-प्राप्त करने और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन" जैसे डिजिटल कार्य कर पाते हैं। यह जानकारी नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) के हालिया सर्वे में सामने आई है। कॉम्प्रिहेंसिव एनुअल मॉड्यूलर सर्वे (CAMS) की रिपोर्ट की मानें तो इस आयु वर्ग के सिर्फ 28.5% नौजवान इन कार्यों को करने में सक्षम हैं।

डिजिटल लिटरेसी में कौन आगे, कौन फिसड्डी?
भारत के 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से भी कम है। गोवा में सबसे ज्यादा 65.7% युवा इन डिजिटल ऑपरेशंस को करने में सक्षम हैं, इसके बाद केरल (53.4%), तमिलनाडु (48%) और तेलंगाना (47.2%) का स्थान है। दूसरी ओर, मेघालय में सबसे कम सिर्फ 7.5% युवा इन डिजिटल ऑपरेशंस को स्वयं कर पाते हैं, इसके बाद त्रिपुरा (8.2%), छत्तीसगढ़ (11.9%) और उत्तर प्रदेश (16%) का नंबर आता हैं।

सिर्फ 21.6% युवा महिलाएं डिजिटली सक्षम
जेंडर बेस्ड एनालिसिस में सामने आया कि सिर्फ 21.6% युवा महिलाएं इन कार्यों को कर पाती हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा घटकर महज 14.5% हो जाता है। इसके उलट 34.2% पुरुष इन कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर कर पाते हैं, और ग्रामीण क्षेत्रों में यह 28.1 फीसदी है।

84.2% युवा इंटरनेट यूजर, फिर भी डिजिटल वर्क में पीछे
एनएसओ के सर्वे के मुताबिक, 84.2% युवा इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन "जटिल" डिजिटल कामकाज निपटाने में सक्षम युवाओं का प्रतिशत बहुत कम है। इसके अलावा 63.2% युवा इंटरनेट पर जानकारी सर्च कर सकते हैं। 49.8% ईमेल भेज या प्राप्त कर सकते हैं, जबकि 40.6% युवा ऑनलाइन बैंकिंग लेनदेन कर सकते हैं।

NSO के सर्वे में शामिल था डिजिटल नॉलेज का पार्ट
यह सर्वेक्षण नेशनल सैंपल सर्वे (NSO) के 79वें दौर का हिस्सा है, जिसमें पेयजल, स्वच्छता, ऊर्जा उपयोग, जन्म पंजीकरण और परिवहन सुविधाओं तक पहुंच जैसे कई संकेतकों पर जानकारी जुटाई गई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कई डेटा सोर्स के बीच कार्यप्रणाली और समय सीमा में अंतर के कारण नतीजों की तुलना कठिन हो सकती है।

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