Agriculture News : गर्मी में खेती कर कमाएं लाखों का मुनाफा, साल में दो बार कर सकते हैं इस फसल की बुआई

Moong
X
Moong
Moong Kheti: देश में मूंग की खेती ग्रीष्म ऋतु और वर्षा ऋतु में की जाती है। देशभर में सबसे ज्यादा 45 प्रतिशत मूंग का उत्पादन राजस्थान में किया जाता है।

Moong Kheti: देश में मूंग की खेती ग्रीष्म ऋतु और वर्षा ऋतु में की जाती है। देशभर में सबसे ज्यादा 45 प्रतिशत मूंग का उत्पादन राजस्थान में किया जाता है। मूंग के दानें में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा और विटामिन पाया जाता है, जो कई बीमारियों में भी फायदेमंद होता है। बाजार में अच्छी कीमत मिलने पर किसान रबी की फसल काटने के बाद मार्च और अप्रैल में मूंग की खेती करके दोगुना मुनाफा कमाते हैं। इसकी खेती में गेहूं से भी कम पानी की आवश्यकता होती है। गर्मी के दिनों में मूंग की खेती करीब 52 दिनों में तैयार हो जाती है। मूंग की दाल बाजार व्यापारियों और उद्यमी कंपनियों को अच्छी कीमत में बेची जा सकती है। इसकी खेती करना बहुत ही आसान होता है। आइए जानते हैं मूंग की खेती करने के बारे में।

ऐसे करें मूंग की खेती
मूंग की खेती के लिए दोमट, बलुअर और काली मिट्टी अच्छी मानी जाती है। खरीफ की फसल कटने के बाद खेत की अच्छी तरह जुताई कर दें। उसके बाद 4-5 दिन हवा लग जाने दें और खेत से खरपतवार की सफाई कर दें। इसके बाद कल्टीवेटर से 2-3 बार जुताई करवाकर पाटा लगाकर खेत की मिट्टी को समतल और भुरभुरा बना लें। इससे मिट्टी में नमी संरक्षित हो जाती है और बीज बोवाई करने पर पौधे को संरक्षण मिलता है। इसकी खेती ग्रीष्म ऋतु में 15 मार्च के आसपास और वर्षा ऋतु में जून-जुलाई के मध्य की जाती है। मिट्टी का पीएच मान 7 से 8 के बीच अच्छा माना जाता है। ग्रीष्म ऋतु में फसल 52 दिनों में तैयार हो जाती है, वहीं वर्षा ऋतु में 25⁰ C से 35⁰ C का तापमान उपयुक्त माना जाता है। इस समय फसल में 60 से 75 दिनों का समय लगता है।

ऐसे करें देखभाल
अच्छी पैदावार के लिए खेत में 2-3 साल में 8 से 10 टन देशी खाद या कम्पोस्ट खाद खेत में डालना उत्पादन के लिए अच्छा माना जाता है। वर्षा ऋतु में फसल की सिंचाई करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। इसके लिए खेत में हल्की नमी होना जरूरी होता है। बसंत ऋतु में खेती करने पर 10-15 दिन के अंतराल में सिंचाई आवश्य करें। बुआई के 20 दिन बाद निंदाई गुड़ाई करके अनावश्यक चारा कचरा खेत से बाहर निकाल दें। दूसरी बार निदाई 40 दिन बाद करना चाहिए, ताकि पौधे को पर्याप्त मात्रा में धूप मिल सके और समय से फसल की पैदावार हो सके। पौधे में कीट लगने पर दवा का पानी में मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।

मूंग दाल खाने के लाभ
मूंग दाल को भिगोकर खाने से इसमें ६०% कार्बोहाइड्रेट, २५% प्रोटिन, १३% वसा तथा अल्प मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। हरी मूंग खाने से एंटीऑक्सीडेंट, फ्लेवोनोइड्स और फेनोलिक कंपाउंड जैसे कई बीमारियों के एंटीऑक्सिडेंट्स से लड़ने में मदद करता है। इसके अलावा ब्लड शुगर, हेल्दी वजन, हाई प्रोटीन में फायदेमंद होता है। जो स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। ये हीट स्ट्रोक से रक्षा और पाचन स्वास्थ्य में सहायता करते हैं। भीगी मूंग सुबह खाली पेट खाने से खून बढ़ता है, क्योंकि इसमें आयरन और फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है। जो खून में हीमोग्लोबिन स्तर बढ़ाने में मदद करता है। यह वजन कम करने में सहायक होता है और पेट लंबे समय तक भरा रखता है।

खेती से मुनाफा
मूंग की फसल का उत्पादन एकड़भर में 6 किलो बीज की बुआई की जाती है। एक एकड़ की खेती में करीब 8 हजार रूपये का खर्च आता है और फसल का उत्पादन 6 से 7 क्विंटल तक हो जाती है। बाजार में मूंग दाल की कीमत 80 से 120 रूपये प्रति किलो के भाव में बेची जाती है। ऐसे में किसान मूंग की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

इक्षान्त उर्मलिया

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo
Next Story