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Interest Rate Cut: पिछले हफ्ते केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि आरबीआई को 'निश्चित रूप से ब्याज दरों में कटौती' करनी चाहिए। इन्हें महंगाई दर से जोड़ना गलत है।

Intrest Rate Cut: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ब्याज दर घटाने की वकालत की है। सोमवार (18 नवंबर) को उन्होंने कहा कि बैंकों की ब्याज दरें और सस्ती होनी चाहिए। उधार लेने की लागत मौजूदा समय में बहुत तनावपूर्ण है। और जब हम चाहते हैं कि इंडस्ट्री अपनी क्षमता बढ़ाए और मैन्यूफैक्चरिंग में तेजी लाए, तो बैंक ब्याज दरें अधिक सस्ती होनी चाहिए।" वित्त मंत्री ने यह बात एसबीआई बैंकिंग और इकोनॉमी समिट 2024 के 11वें संस्करण में कहीं।

RBI की ब्याज दरें और केंद्रीय बैंक का क्या है रुख?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की रेपो रेट फिलहाल 6.50% पर है। केंद्रीय बैंक ने पिछले 10 मौद्रिक नीतियों से इस स्तर पर ब्याज दरें स्थिर रखी हैं। अक्टूबर में आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति में रुख बदलते हुए 'विथड्रॉल ऑफ अकॉमोडेशन' से 'न्यूट्रल' कर दिया। पिछले हफ्ते केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि आरबीआई को "निश्चित रूप से ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए।" इस पर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने जवाब दिया कि वह इस पर टिप्पणी दिसंबर की आगामी मौद्रिक नीति के लिए "रिजर्व" रखेंगे।

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महंगाई और मुद्रास्फीति पर क्या बोलीं वित्त मंत्री? 
मौजूदा महंगाई दर पर वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि टॉप तीन खराब होने वाली वस्तुएं (प्याज, टमाटर, आलू) मुद्रास्फीति के आंकड़ों को प्रभावित कर रही हैं, जबकि अन्य वस्तुओं के आंकड़े चार या तीन प्रतिशत से नीचे हैं। उन्होंने कहा, "भारत समय-समय पर खराब होने वाले खाद्य पदार्थों की पर्याप्त आपूर्ति से प्रभावित होता है। सरकार वैज्ञानिक और अधिक मजबूत भंडारण सुविधाओं के लिए प्रयास कर रही है। जब तक इस समस्या का समाधान नहीं होगा, यह समस्या बार-बार सामने आएगी।"

खुदरा महंगाई और आरबीआई की चुनौती

  • अक्टूबर 2024 में खुदरा महंगाई 14 महीनों में सबसे ज्यादा 6.2% पर पहुंच गई, जो सितंबर में 5.5% थी। खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी ने इस बढ़ोतरी को प्रेरित किया। यह आंकड़ा आरबीआई के ऊपरी 6% लक्ष्य को पार कर गया, जिससे यह संभावना बढ़ गई कि केंद्रीय बैंक दिसंबर की बैठक में लगातार 11वीं बार ब्याज दरों को स्थिर रख सकता है।
  • गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले हफ्ते कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति आने वाले महीनों में स्थिर होने की उम्मीद है, हालांकि हाल के महीनों में इसमें बढ़ोतरी हुई है। अब उद्योग जगत और उपभोक्ताओं को सस्ती ब्याज दरों की उम्मीद है और मौद्रिक नीति बैठक अगले महीने दिसंबर में होनी है।
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