Foreign Exchange Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार 700 बिलियन डॉलर पार; भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बना

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Foreign Exchange Reserves: पहली बार विदेशी मुद्रा भंडार 700 बिलियन डॉलर पार
Foreign Exchange Reserves: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने सितंबर 2024 में पहली बार $700 बिलियन का आंकड़ा पार कर लिया है। आंकड़ों के अनुसार, यह भंडार अब $704.885 बिलियन पर पहुंच गया है।

Foreign Exchange Reserves: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने सितंबर 2024 में पहली बार $700 बिलियन का आंकड़ा पार कर लिया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शुक्रवार (4 अक्टूबर 2024) को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, यह भंडार अब $704.885 बिलियन पर पहुंच गया है। पिछले सप्ताह, यह राशि 692.296 बिलियन डॉलर के ऑल टाइम हाई पर थी। भारत यह माइलस्टोन पार करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। इससे पहले चीन, जापान और स्विट्ज़रलैंड ही इस स्तर तक पहुंच पाए हैं।

RBI के शुक्रवार के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय फॉरेक्स का सबसे हिस्सा फॉरेन करेंसी एसेट (FCA) 616.154 बिलियन डॉलर है। फिलहाल भारत का गोल्ड रिजर्व 65.796 बिलियन डॉलर का है। अनुमान के मुताबिक, भारत का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व अब एक साल से ज्यादा के इंपोर्ट को कवर करने के लिए पर्याप्त है।

पिछले साल 58 बिलियन डॉलर बढ़ा
साल 2023 में भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 58 बिलियन डॉलर जोड़े। जबकि 2022 में 71 बिलियन डॉलर की गिरावट देखी गई। फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व यानी विदेशी मुद्रा भंडार का स्टॉक ग्लोबल झटकों से डोमेस्टिक इकोनॉमिक एक्टिविटी को बचाए रखने में मदद करता है।

$745 बिलियन तक पहुंच सकता है विदेशी मुद्रा भंडार
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार मार्च 2026 तक $745 बिलियन तक पहुंच सकता है। इस वृद्धि से भारत की वित्तीय स्थिरता मजबूत होगी और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में देश की स्थिति को और मजबूती मिलेगी।

2003 में 100 बिलियन डॉलर था विदेशी मुद्रा भंडार
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार दिसंबर 2003 में 100 बिलियन डॉलर के पार पहुंचा था, अगले 100 बिलियन डॉलर को जोड़ने में तीन साल से अधिक का समय लगा। हालांकि, तीसरा 100 बिलियन डॉलर (200 बिलियन डॉलर से 300 बिलियन डॉलर) एक साल से भी कम समय में हासिल किया गया था, जिसमें 29 फरवरी, 2008 को भंडार 300 बिलियन डॉलर को पार कर गया था। ब्लूमबर्ग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 200 बिलियन डॉलर से 300 बिलियन डॉलर तक की वृद्धि सबसे तेज थी, जो लगभग दस महीनों में हुई, जबकि 300 बिलियन डॉलर से 400 बिलियन डॉलर तक बढ़ने में नौ साल से अधिक का समय लगा।

इस साल आया $30 बिलियन के विदेशी निवेश
इस वृद्धि के पीछे कई कारण हैं, जिनमें मुख्य रूप से इस साल के दौरान $30 बिलियन के विदेशी निवेश का आना शामिल है। ये निवेश खासकर लोकल बॉन्ड्स में हुआ है, जो कि J.P. Morgan के एक महत्वपूर्ण इंडेक्स में शामिल होने के बाद से बढ़ा है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कई बार विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है, क्योंकि यह उच्च बाजार अस्थिरता (मार्केट वोलाटिलिटी) के समय एक सुरक्षा कवच के रूप में काम करता है। भारत की इस ऐतिहासिक उपलब्धि से देश की अर्थव्यवस्था को और बढ़ावा मिलेगा और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के बीच विश्वास भी बढ़ेगा।

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