Foreign Portfolio Investment: भारतीय शेयर बाजार का मूवमेंट बहुत हद तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) पर निर्भर करता है। नए साल के पिछले तीन हफ्ते में एफपीआई ने इंडियन मार्केट से 13 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की निकासी की है। जिसके असर से भारतीय स्टॉक मार्केट में गिरावट देखने को मिली। इंडियन मार्केट के हाई वैल्यूएन और अमेरिका में बॉन्ड पर रिटर्न बढ़ने के चलते एफपीआई ने बिकवाली का रुख अख्तियार किया है। यानी शेयर बाजार से मुनाफावसूली की। 

जनवरी में 13,047 करोड़ रु. की निकाले 
डिपॉजिटरी डाटा के मुताबिक, इस रुख के विपरीत फॉरेन इंवेस्टर लोन या बॉन्ड मार्केट को लेकर उत्साहित हैं। उन्होंने बॉन्ड बाजार में 15,647 करोड़ रुपए निवेश किए हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 1 से 19 जनवरी तक शेयरों से 13,047 करोड़ रु. निकासी की है। 17-19 जनवरी के बीच ही 24,000 करोड़ रुपए से ज्यादा के शेयर बेच दिए। इससे पहले दिसंबर में FPI ने शेयरों में 6,134 करोड़ रु. और नवंबर में 9,000 करोड़ रु. निवेश किए थे।

एक्सपर्ट्स ने बताए बिकवाली की 2 वजहें
शेयर मार्केट के जानकारों ने एफपीआई की बिकवाली के दो कारण बताए हैं। पहला- अमेरिका में बॉन्ड रिर्टन बढ़ना है। 10 साल के बॉन्ड पर रिटर्न 3.9 फीसदी से बढ़कर 4.15 फीसदी पहुंच गया है। इसी वजह से बायिंग मार्केट से पूंजी बाहर निकाली जा रही है। दूसरा कारण- भारत में शेयरों का हाई वैल्यूएशन है। FPI एचडीएफसी बैंक के निराशाजनक रिजल्ट का हवाला देकर भारी बिकवाली में लगे हैं।

FII शेयर बाजार को कैसे प्रभावित करते हैं?
विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारतीय शेयर मार्केट में लिक्विडिटी के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। जो खासतौर से पोर्टफोलियो निवेश में जुड़े होते हैं। इसमें विदेशी बाजारों में स्टॉक, बॉन्ड और अन्य वित्तीय संपत्तियों की खरीदारी शामिल होती है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज विदेशी निवेशकों की गतिविधियों का पूरा डेटा रखती हैं। यह डेटा सार्वजनिक उपभोग के लिए उपलब्ध है और दैनिक आधार पर अपडेट किया जाता है। निफ्टी 500 में शामिल कंपनियों में करीब 21 फीसदी हिस्सेदारी विदेशी निवेशकों की है।