तमिलनाडु के चेन्नई स्थित फॉक्सकॉन (Foxconn) कंपनी के आईफोन (iPhone) प्लांट में शादीशुदा महिलाओं को नौकरी न देने का मामला तूल पकड़ रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आई इस भेदभावपूर्ण भर्ती प्रक्रिया को लेकर श्रम मंत्रालय ने संज्ञान लिया है। केंद्र सरकार ने कंपनी को इस मामले पर तत्काल रिपोर्ट सौंपने काे कहा है। बता दें कि रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में तमिलनाडु स्थित फॉक्सकॉन इंडिया आईफोन प्लांट (Foxconn India iPhone Plant) में यह भेदभाव होने का खुलासा किया गया है।
श्रम मंत्रालय ने तमिलनाडु सरकार से मांगा जवाब
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने इस मामले में संज्ञान लिया है। तमिलनाडु सरकार के श्रम विभाग से कंपनी के बारे में विस्तार से रिपोर्ट सौंपने को कहा है। मंत्रालय ने कहा है कि समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 (Equal Remuneration Act 1976) के प्रावधानों के मुताबिक, पुरुष और महिला मजदूरों की भर्ती में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता। रिपोर्ट मिलने के बाद मंत्रालय की ओर से आगे की कार्रवाई की जाएगी। उ
क्या है पूरा मामला?
रॉयटर्स की एक जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि फॉक्सकॉन अपने चेन्नई प्लांट में शादीशुदा महिलाओं को नौकरी नहीं दे रहा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, कंपनी का मानना है कि शादीशुदा महिलाओं के पास ज्यादा पारिवारिक जिम्मेदारियां होती हैं। जबकि अविवाहित महिलाओं के पास जिम्मेदारियां कम होती हैं। अगर विवाहित महिलाओं को काम पर रखा जाएगा तो कंपनी का काम प्रभावित हो सकता है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि एप्पल(Apple) और फॉक्सकॉन(Foxconn) दोनों ही कंपनियों में इस तरह के भेदभाव का मामला सामने आया है।
दो बहनों ने साझा किया अनुभव
रॉयटर्स ने कंपनी में काम करने वाली दो बहनों पार्वती और जानकी का भी जिक्र किया गया है। रिपाेर्ट में दावा किया गया है कि इन दोनों बहनों को कंपनी में इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। हालांकि, सिर्फ इसलिए काम नहीं देने से इनकार कर दिया गया कि दोनों बहनें शादीशुदा थीं। दोनों बहनों ने बताया कि जब वे इंटरव्यू देने पहुंची, तो कंपनी के गेट पर ही उनसे पूछा गया कि क्या वे शादीशुदा हैं। जब दोनों बहनों ने बताया कि उनकी शादी हो चुकी है तो उन्हें गेट से ही लौट दिया गया और इंटरव्यू देने का मौका तक नहीं दिया गया।
पूर्व HR ने भी भेदभाव होने की पुष्टि की
फॉक्सकॉन इंडिया के पूर्व HR कार्यकारी एस. पॉल ने भी कंपनी के इस भेदभाव भरे बर्ताव की पुष्टि की है। एस पॅाल ने कहा कि कंपनी ऐसा मानती है कि शादीशुदा महिलाओं में रिस्क फैक्टर ज्यादा होता है। उनके प्रेगनेंट होने की वजह से एक रिस्क फैक्टर भी जुड़ा होता है। इसके साथ ही विवाहित महिलाओं के पास पारिवारिक जिम्मेदारियां भी ज्यादा होती हैं। यही वजह है कि कंपनी शादीशुदा महिलाओं को जॉब देना नहीं चाहती।
भेदभाव के आरोपों से कंपनियों का इनकार
हालांकि, इस मामले पर तूल पकड़ने के बाद दोनों कंपनियों, एप्पल और फॉक्सकॉन ने इन आरोपों से इनकार किया है। दोनों कंपनियों का कहना है कि वह भारत में शादीशुदा महिलाओं को भी जॉब ऑफर करती है। कंपनियों ने कहा है कि उनकी हायरिंग प्रोसेस में किसी भी तरीके का भेदभाव नहीं किया जाता है। इसके साथ ही दोनों कंपनियों ने कहा है कि उनकी हायरिंग पॉलिसी में जेंडर या मैरिटल स्टेटस के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव करने पर पूरी तरह से पाबंदी है।