Import Duty On Edible Oil: आम जनता को महंगाई से थोड़ी राहत देने के लिए मोदी सरकार ने खाद्य तेल पर आयात शुल्क यानी Import Duty में कटौती की सीमा सालभर के लिए बढ़ाने का फैसला लिया है। सरकार को उम्मीद है कि इससे देश में कुकिंग ऑयल के भाव नियंत्रित रहेंगे। केंद्र ने जून माह में आयात शुल्क में छूट की सीमा मार्च 2024 तय की थी। जिसे अब मार्च 2025 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। बता दें कि अगले साल अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सरकार महंगाई कम करने की दिशा में हर संभव प्रयास कर रही है।
12.5% की गई थी इंपोर्ट ड्यूटी
केंद्र सरकार ने जून 2023 में रिफाइंड सोयाबीन ऑयल और सनफ्लावर ऑयल पर बेसिक इंपोर्ट ड्यूटी 17.5% से घटाकर 12.5% की गई थी। जिसकी सीमा मार्च 2024 में खत्म होने जा रही थी। अब खाद्य मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को आयात शुल्क में कटौती की समय सीमा बढ़ाने संबंधी नया नोटिफिकेशन जारी किया गया है।
- इससे पहले कुकिंग ऑयल पर लगने वाला आयात शुल्क 32.5% था, जिसे अक्टूबर 2021 में घटाकर 17.5 फीसदी तक लाया गया था।
नवंबर में फूड इन्फ्लेशन 8.70% पहुंच गई
इसी साल नवंबर में खाने-पीने की वस्तुओं में महंगाई दर बढ़कर 8.70 फीसदी हो गई थी। जो कि अक्टूबर में 6.61 फीसदी रही थी। सांख्यिकी मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, दालों के भाव सालाना आधार पर 10.27 फीसदी और सब्जियों के 17.7 फीसदी तक बढ़ गए थे। महंगाई दर बढ़ने का बोझ आम जनता की जेब पर साफ तौर पर दिखाई दे रहा था। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क घटाने का निर्णय लिया है।
खाद्य आपूर्ति के लिए 60% ऑयल का इंपोर्ट
भारत रिफाइंड ऑयल का दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। इसके साथ ही वेजिटेबल ऑयल की खपत के मामले में पहले नंबर पर है। खाद्य तेलों की यह जरूरत 60% आयात से पूरी होती है। सबसे अधिक पाम ऑयल और इससे जुड़े अन्य प्रोडक्ट इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात किए जाते हैं। भारत में ज्यादातर सरसों, पाम, सोयाबीन और सनफ्लावर से निकल तेल कुकिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है।