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शेयर बाजार में हर सौदे में नुकसान से बचने के लिए हेजिंग जरूरी है। यह रिस्क मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी है और आपको बड़े नुकसान से बचाने में मददगार साबित हो सकती है। शेयरों में पैसा लगाना बाजार जोखिमों के अधीन होता है।

Hedging Strategy: शेयर बाजार में पैसा लगाते वक्त एक डर हमेशा निवेशकों के मन में रहता है कि कहीं स्टॉक गिर तो नहीं जाएगा। यह चिंता बड़े निवेशकों को ज्यादा रहती है, क्योंकि जो व्यक्ति बाजार में 10 लाख, 1 करोड़ या उससे ज्यादा पैसा लगाता है तो शेयरों में गिरावट होने का डर लाजिमी है। लेकिन शेयरों में करोड़ों रुपये लगाने वाले इन्वेस्टर्स नुकसान से बचने के लिए बीमा भी करा लेते हैं। आप सोचेंगे कि शेयर खरीदने पर कौन-सा इंश्योरेंस होता है हमने तो आज तक नहीं सुना।

आपने नहीं सुना इसका यह मतलब नहीं है कि ऐसा नहीं होता है। चूंकि शेयरों में पैसा लगाना बाजार जोखिमों के अधीन है और जहां रिस्क है वहां खुद को सिक्योर करना बहुत जरूरी है। इसी बात को ध्यान रखते हुए शेयर बाजार में फ्यूचर एंड ऑप्शन के कॉन्सेप्ट को लाया गया है, जिन्हें हेजिंग टूल कहा जाता है। इस रिपोर्ट के जरिए हम आपको बताएंगे कि F&O यानी फ्यूचर एंड ऑप्शन क्या है? इसके क्या लाभ हैं? यह कैसे शेयर का भाव गिरने पर भी नुकसान नहीं होन देता? 

क्या होती है हेजिंग? 
बाजार के जानकारों का कहना है कि स्टॉक मार्केट में हेजिंग का मतलब रिस्क मैनेजमेंट स्ट्रैटेजी यानी जोखिम प्रबंधन रणनीति है। इसका इस्तेमाल निवेशकों द्वारा शेयरों की कीमत में होने वाले संभावित नुकसान को कम करने के लिए किया जाता है। हेजिंग की सुविधा शेयर, बॉन्ड, कमोडिटी और करेंसी सभी मार्केट में उपलब्ध है। इसे असानी से लिया जा सकता है। इसके कई प्रकार के लाभ होते हैं।

जोखिम से बचाने वाला बीमा
मान लीजिए आपने बहुत रिसर्च करके कोई शेयर खरीदा और आप आश्वस्त है कि आने वाले दिनों में शेयर का भाव बढ़ेगा। लेकिन बाजार में इसकी कोई गारंटी नहीं होती है। एक बुरी खबर से शेयर औंधे मुंह गिर जाते हैं। ऐसे में अपनी पॉजिशन को हेज करना बहुत जरूरी है। मान लीजिए आप कोई भी स्टॉक खरीदते हैं, जिसका भाव 130 रुपए है। अगर आपने 130 के भाव से 10,000 शेयर खरीदे यानी कुल 13 लाख रुपए का निवेश किया।

जरा सोचिए, 13 लाख रुपए कितनी बड़ी रकम होती है और वह हम ऐसे बाजार में रखते है जहां रिस्क और रिवॉर्ड दोनों मिलते है। जिस तरह हम महंगी गाड़ी खरीदने पर इंश्योरेंस कराते है और कीमती जेवरों की सुरक्षा के लिए उन्हें लॉकर में रखते है, इन दोनों कामों के लिए हमें प्रीमियम या किराया देना होता है। ठीक उसी तरह फ्यूचर एंड ऑप्शन में प्रीमियम अदा करके अपनी 13 लाख रुपए की पॉजिशन को हेज कर सकते हैं।

आसानी के कर सकते हैं हेजिंग
फ्यूचर एंड ऑप्शन में पुट या कॉल ऑप्शन खरीद या बेचकर कैश मार्केट की पॉजिशन को आसानी से हेज किया जा सकता है। हालांकि, कॉल और पुट खरीदने में सिर्फ प्रीमियम देना होता है जो काफी कम होता है, जबकि सेल करने के लिए मार्जिन लगता है जो काफी ज्यादा होता है। इसलिए निवेशक कम पैसे में अपनी निवेश की गई राशि को आसानी से हेज कर सकते हैं और होने वाले नुकसान से बच सकते हैं।

यह भी कर सकते हैं 
निवेशकों ने जिस स्टॉक के लिए 130 के भाव पर 10,000 शेयर खरीदे हैं। अगर शेयर गिरा तो नुकसान से बचने के लिए आप इस स्टॉक के 130 रुपए स्ट्राइक प्राइस का पुट ऑप्शन खरीद सकते हैं, जिसका भाव इस बाजार तक 4 रुपए तक चल रहा है और इसका लॉट साइज 10,000 है। आपको 40,000 रुपए का प्रीमियम देना होगा। यानी 13 लाख की कैश पॉजिशन में होने वाले नुकसान से बचने के लिए आपने 40,000 में पुट ऑप्शन खरीद लिया।

समझिए कैसे होता है प्रॉफिट? 
अब आप देखिए कैश पोजिशन में 1 लाख का प्रॉफिट होता है और पुट ऑप्शन में 40,000 का नुकसान भी हो जाए तो भी आप 60,000 के मुनाफे रहेंगे। वहीं, अगर शेयर का भाव गिरकर 120 रुपए आ जाता है तो पुट ऑप्शन का प्रीमियम बढ़ेगा। ऐसे में कैश पॉजिशन में आपको 1 लाख का नुकसान होगा। वहीं, पुट का प्रीमियम बढ़कर 4 रुपए से 14 रुपए पहुंच जाता है तो यहां आपको 1 लाख रुपये का प्रॉफिट होगा यानी कैश पॉजिशन में 1 लाख का नुकसान और पुट ऑप्शन में 1 लाख का प्रॉफिट होने पर 'नो लॉस नो प्रॉफिट' रहेगा। अगर पुट का प्रीमियम 14 से बढ़कर 16 रुपए हुआ तो उल्टा आप 20,000 के प्रॉफिट में रहेंगे। हालांकि, फ्यूचर एंड ऑप्शन के जरिए हेजिंग करने के लिए शेयरों की चाल पर नजर रखना बहुत जरूरी है, जिस दिशा में शेयर बढ़े उसके हिसाब से पॉजिशन को काटना जरूरी है, ताकि ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हासिल किया जा सके। बता दें कि फ्यूचर एंड ऑप्शन में कॉल और पुट की एक्सपायरी होती है, जिसकी अवधि एक माह होती है। आप हर माह अपनी कैश पॉजिशन को हेजिंग के जरिए नुकसान से बचा सकते हैं।

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