Sovereign Gold Bond: दिन पर दिन सोने की कीमतें आसमान छू रही है। बाजार में जब सोने की कीमतें बढ़ती हैं, तो निवेशकों की दिलचस्पी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) में बढ़ने लगती है। सरकार की यह योजना न सिर्फ सोने में निवेश का सुरक्षित तरीका है, बल्कि इसमें टैक्स से जुड़े कई फायदे और स्थिर ब्याज दर भी मिलती है। आमतौर पर निवेशकों को लगता है कि SGB को 8 साल पूरे होने पर ही बेचा जा सकता है, लेकिन सच्चाई यह है कि इसे कुछ खास शर्तों के साथ 5 साल बाद भी निकाला जा सकता है।
हाल ही में 2019-20 की सीरीज V के निवेशकों को सरकार ने एक शानदार मौका दिया। इस सीरीज में निवेश करने वाले लोग चाहें तो अपना बॉन्ड समय से पहले बेच सकते हैं और मोटा मुनाफा भी कमा सकते हैं। इतना ही नहीं, इस बॉन्ड पर हर साल 2.5% का निश्चित ब्याज भी मिलता है, जो सीधे निवेशक के खाते में जमा होता है। आइए जानते हैं कि इस स्कीम का फायदा कैसे लिया जा सकता है।
क्या है SGB और इसकी खासियतें?
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को भारत सरकार द्वारा रिजर्व बैंक के माध्यम से जारी किया जाता है। इसका उद्देश्य है लोगों को फिजिकल गोल्ड (सोने के गहनों या सिक्कों) की बजाय डिजिटल रूप में सोने में निवेश के लिए प्रेरित करना। इसमें सोने की कीमत के साथ-साथ सालाना 2.5% ब्याज भी मिलता है। इसकी मूल अवधि 8 साल की होती है, लेकिन 5 साल बाद निवेशक इसे समय से पहले भी बेच सकते हैं।
समय से पहले निकालने पर क्या मिलेगा?
जो लोग 2019-20 की सीरीज V में जुड़े थे, उन्हें 6 मई 2024 से अपने बॉन्ड को समय से पहले रिडीम करने का मौका मिला है। जब इस बॉन्ड को इश्यू किया गया था, तब सोने की कीमत करीब ₹3,890 प्रति ग्राम थी। अब यही कीमत बढ़कर ₹9,300 प्रति ग्राम से ऊपर पहुंच गई है। यानी निवेशकों को करीब 139% तक का रिटर्न मिल रहा है।
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इस रिडेम्पशन प्राइस को इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) द्वारा तय किया जाता है, जो पिछले तीन दिन की औसत कीमत पर आधारित होता है। इस बार भी SGB के समयपूर्व रिडेम्पशन के लिए ₹9,303 प्रति ग्राम की कीमत तय की गई है।
ब्याज की भी हो रही कमाई
SGB की एक और खासियत यह है कि इसमें सिर्फ रिटर्न ही नहीं मिलता, बल्कि हर छह महीने में 2.5% का सालाना ब्याज भी निवेशक के बैंक खाते में जाता है। यह ब्याज सोने की कीमत से नहीं, बल्कि निवेश की गई मूल राशि से जुड़ा होता है। इस तरह से निवेशक को एक साथ दो तरह का लाभ मिलता है — सोने की बढ़ती कीमतों का और स्थिर ब्याज का।
टैक्स में भी राहत
अगर SGB को मैच्योरिटी (8 साल) तक होल्ड किया जाता है, तो उस पर मिलने वाले पूंजीगत लाभ (Capital Gains) पर कोई टैक्स नहीं लगता। हालांकि, अगर इसे 5 साल बाद समय से पहले बेचा जाता है, तो लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लागू होता है। यह टैक्स इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20% की दर से लगाया जाता है, जिससे टैक्स का बोझ कम हो जाता है।
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कैसे करें रिडेम्पशन?
SGB को बेचने के लिए निवेशक को वही बैंक या डीमैट प्लेटफॉर्म से संपर्क करना होता है, जहां से उन्होंने इसे खरीदा था। बैंक इस प्रक्रिया में कुछ दिन का समय ले सकता है, इसलिए आवेदन समय से पहले करना चाहिए।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड उन निवेशकों के लिए बेहतरीन विकल्प है जो सुरक्षित, टैक्स-फ्रेंडली और स्थिर रिटर्न वाला निवेश चाहते हैं। समय से पहले भी इसे बेचने का विकल्प होना इस स्कीम को और आकर्षक बना देता है। खासकर जब सोने की कीमतें ऊंचाई पर हों, तो इसका लाभ उठाना फायदे का सौदा साबित हो सकता है।
(Disc।aimer: इस आर्टिकल में दी गई सामग्री सिर्फ जानकारी के लिए है। हरिभूमि इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी सलाह या सुझाव को अमल में लेने से पहले फाइनेंशिल एक्सपर्ट से बात करें।)
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