भारत की दुर्लभ करेंसी: लंदन में 56 लाख में बिका ₹100 का नोट, 12 लाख में बिका ₹10 का नोट

Indias rare currency auctioned in London, ₹100 note sold for 56 lakhs, ₹10 note sold for 12 lakhs
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56 लाख रुपए से ज्यादा में बिका भारत का ₹100 का नोट
India's rare currency auctioned in London: अगर आपके पास पुराने नोट हैं, तो उनकी जांच जरूर करें। हो सकता है कि आपके पास भी ऐसा कोई दुर्लभ नोट हो, जिसकी कीमत लाखों में हो।

India's rare currency auctioned in London: लंदन में हाल ही हुई एक नीलामी ने भारतीय करेंसी प्रेमियों के बीच हलचल मचा दी है। इस नीलामी में 100 रुपए का एक भारतीय नोट 56,49,650 रुपए में बिका, जबकि 10 रुपए के दो पुराने नोट 12 लाख रुपए में नीलाम हुए। ये कोई साधारण करेंसी नहीं थी, बल्कि इसमें इतिहास समाहित है। आइए जानें, आखिर इन नोटों में ऐसा क्या खास था, जिनकी लाखों में बोली लगी।

भारतीय नोटों का इतिहास
भारतीय करेंसी का इतिहास काफी पुराना है। 18वीं सदी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने पहली बार बैंक नोट जारी किए थे। 1861 में, भारतीय करेंसी एक्ट के तहत पहली बार औपचारिक रूप से सरकारी बैंक नोट जारी किए गए। तब से, भारतीय नोटों में कई बदलाव आए हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान, नोटों पर ब्रिटिश सम्राट की तस्वीर हुआ करती थी। स्वतंत्रता के बाद, 1949 में पहला नोट जारी किया गया, जिस पर अशोक स्तंभ की छवि थी। उसके बाद से, भारतीय नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर दिखाई देने लगी, जो आज भी जारी है।

100 रुपए के नोट की खासियत
56 लाख रुपए में बिका 100 रुपए का यह नोट भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 1950 के दशक में जारी किया गया था। इस नोट का सीरियल नंबर HA 078400 था। इसकी खासियत यह थी कि यह 'हज नोट' की श्रृंखला का हिस्सा था। हज नोट 20वीं सदी के मध्य में भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए जारी किए गए थे, जो खाड़ी देशों की यात्रा पर जाते थे। इन नोटों का उद्देश्य अवैध सोने की खरीद-फरोख्त को रोकना था।

हज नोट को पहचानने के लिए इनमें 'HA' नाम का एक विशेष प्रीफिक्स दिया जाता था, जो इन्हें अन्य भारतीय नोटों से अलग बनाता था। ये नोट सामान्य भारतीय करेंसी से रंग में भी अलग थे। दिलचस्प बात यह थी कि ये नोट भारत में वैध नहीं थे, लेकिन संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, कुवैत, कतर और ओमान जैसे खाड़ी देशों में इन्हें उपयोग किया जा सकता था।

1961 में कुवैत ने अपनी करेंसी शुरू कर दी थी, जिसके बाद अन्य खाड़ी देशों ने भी अपनी-अपनी करेंसी जारी की। इस बदलाव के चलते 1970 के दशक में हज नोटों का प्रचलन समाप्त हो गया। आज ये नोट दुर्लभ हैं और करेंसी संग्राहकों के बीच इनकी काफी मांग है।

10 रुपए के दुर्लभ नोटों की कहानी
इस नीलामी में 10 रुपए के दो पुराने नोटों की नीलामी भी चर्चा का विषय बनी। एक नोट की कीमत 6.90 लाख और दूसरे की 5.80 लाख रुपए लगी। इनकी खासियत यह थी कि ये 25 मई 1918 को जारी किए गए थे और प्रथम विश्व युद्ध के समय के थे।

इन नोटों का संबंध ब्रिटिश जहाज एसएस शिराला से भी है, जो 2 जुलाई 1918 को एक जर्मन यू-बोट के टारपीडो हमले के कारण डूब गया था। एसएस शिराला की इस ऐतिहासिक घटना ने इन नोटों को और भी दुर्लभ बना दिया है। ऐसे नोटों का मिलना आज के दौर में बहुत मुश्किल है, जिससे इनकी कीमत बढ़ जाती है।

क्यों होती है इन नोटों की इतनी ऊंची कीमत?

  • ऐतिहासिक महत्व: इन नोटों का संबंध किसी ऐतिहासिक घटना या विशेष समय से होता है, जो इन्हें अनमोल बनाता है।
  • सीमित संख्या में उपलब्धता: ये नोट बड़ी मात्रा में जारी नहीं किए गए थे, इसलिए समय के साथ ये दुर्लभ हो गए हैं।
  • अनोखी पहचान: हज नोटों का HA प्रीफिक्स और 10 रुपये के नोटों का संबंध प्रथम विश्व युद्ध से उन्हें और खास बनाता है।
  • कलेक्टर्स की मांग: करेंसी संग्राहकों के बीच ऐसे नोटों की मांग हमेशा बनी रहती है, जिससे इनकी कीमत बढ़ जाती है।

(ओवियान सिंह शाही)

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