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Poverty Levels in India: एसबीआई ने सांख्यिकीय मंत्रालय के 'हाउसहोल्ड कंजम्प्शन एक्स्पेंडिचर सर्वे' (HCES) 2022-23 फैक्टशीट के आधार पर वैल्यूएशन रिपोर्ट तैयार की है।

Poverty Levels in India: देश में पिछले एक दशक में गरीबी के स्तर में बड़ी कमी आई है। अब इसकी समग्र दर 4.5-5% के आसपास रहने का अनुमान है। यह बात भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की रिपोर्ट में सामने आई है। बैंक ने पिछले दिनों सांख्यिकीय मंत्रालय की ओर से जारी 'हाउसहोल्ड कंजम्प्शन एक्स्पेंडिचर सर्वे' (HCES) 2022-23 फैक्टशीट के आधार पर यह वैल्यूएशन किया है। जिसकी रिपोर्ट मंगलवार को पेश की गई। इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं...

एसबीआई के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्या कांति घोष ने कहा कि एमपीसीई के फ्रैक्टाइल डिस्ट्रीब्यूशन के नए अनुमान से गरीबी के संभावित स्तर पर विचार किया जा सकता है।

1) ग्रामीण और शहरी घरेलू आय में वृद्धि:
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की ग्रामीण घरेलू आय MPCE (मासिक प्रति व्यक्ति खर्च) वर्ष 2011-12 से 2022-23 तक बढ़ा है। पहले यह 1,430 रुपए पर था, जो बढ़कर 3,773 रुपए तक पहुंच गया। इसी प्रकार शहरी घरेलू आय का MPCE इसी अवधि में क्रमश: 2,630 रुपए से 6,459 में बढ़ चुका है।

2) नई गरीबी रेखा का क्या अनुमान है:
एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, 2011-12 (MRP उपभोग के आधार पर) ग्रामीण क्षेत्र में गरीबी रेखा का अनुमान 816 रुपए और शहरी क्षेत्र में 1000 रुपए है। नई गरीबी रेखा को 10 साल में महंगाई दर और एनएसएसओ रिपोर्ट के नतीजों के आधार पर एडजस्ट किया था। नई अनुमानित गरीबी रेखा ग्रामीण क्षेत्रों में 1,622 रुपए और शहरी क्षेत्रों में 1,929 रुपए है।

3) फ्रैक्टाइल वितरण और गरीबी स्तर:
ताजा फ्रैक्टाइल डिस्ट्रीब्यूशन के आधार पर ग्रामीण क्षेत्र में गरीबी के सैंपल अंश का अनुमान 7.15% और शहरी क्षेत्र में 4.62% है। इससे चलता है कि 2018-19 से ग्रामीण गरीबी में 440 बेसिस पॉइंट्स (4.4%) की कमी आई और शहरी गरीबी स्तर 170 बेसिस पॉइंट्स (1.7%) नीचे आया।

4) सरकारी योजनाओं का कितना असर:
देश में गरीबी स्तर को नीचे लाने में सरकारी योजनाओं ने अहम भूमिका निभाई है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली ग्रामीण आबादी को सरकारी योजनाओं का भरपूर लाभ मिला है। 

5) वर्ल्ड बैंक के अनुमानों का एनालिसिस:
विश्व बैंक के अनुमानों के मुताबिक, 2018-19 में भारत की ग्रामीण गरीबी 11.6% और शहरी गरीबी 6.3% थी। जबकि सुरेश तेंडुलकर समिति ने 2011-12 में भारत की ग्रामीण गरीबी को 25.7% और शहरी गरीबी को 13.7% के स्तर पर आंका था।

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