महंगाई ने तोड़ी कमर: गेहूं-चावल की कीमतों में जबरदस्त उछाल, 5 माह में 80 फीसदी बढ़े आटे के दाम

Atta-Rice Price: देश में महंगाई दर के आंकड़ों में भले कमी आई है, दाल-चावल और आटे की कीमतों में उछाल जारी है। पिछले 4 माह में आटे के भाव 80 फीसदी तक बढ़ गए हैं। अक्टूबर 2024 में जो आटा 32 रुपए किल बिक रहा था, फरवरी 2025 में उसकी कीमतें 40 रुपए किलो हैं।
एक्सपर्ट की मानें तो बाजार में गेहूं के स्टॉक में कमी के चलते यह दाम बढ़ रह रहे हैं। आटे की तरह चावल की कीमातें भी आसमान पर हैं। भोपाल में चावल 45 रुपए से लेकर 150 रुपए किलो तक बिक रहा है।
आटे के दामों में वृद्धि का आंकड़ा
माह | आटे का दाम (₹ प्रति किलो) |
अक्टूबर | ₹32 |
नवंबर | ₹33 |
दिसंबर | ₹34 |
फरवरी | ₹40 |
गेहूं की कीमतें बढ़ीं
मध्य प्रदेश में गेहूं की खुदरा कीमतें भी 30-32 रुपए किलो से बढ़कर 36 रुपए प्रति किलो हो गई हैं। मीलर्स एसोसिएशन की मानें तक नया गेहूं अप्रैल-मई तक आएगा। तब तक इसकी कीमतों में कमी संभव नही है। आगे दाम बढ़ने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
गेहूं की कीमतों में वृद्धि के पीछे मुख्य कारण
- कम उत्पादन: मौसम में बदलाव के चलते गेहूं की पैदावार में गिरावट की आशंका है।
- कम आपूर्ति: भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा गेहूं की बिक्री कम करने से बाजार में स्टॉक कम हो गया है।
- उच्च समर्थन मूल्य: सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाकर 2400 रुपए प्रति क्विंटल के करीब कर दिया है।
- बढ़ती मांग: घरेलू और औद्योगिक स्तर पर आटे की डिमांड लगातार बढ़ रही है।
- मजदूरी और लॉजिस्टिक्स खर्च: मजदूरी और डीजल पेट्रोल की कीमतें बढ़ने से गेहूं का ट्रांसपोर्टेशन चार्ज बढ़ गया है।
उत्तर प्रदेश में गेहूं और आटे की कीमतें
उत्तर प्रदेश के लखनऊ, नोएडा और गाजियाबाद सहित कुछ जिलों में आटा 42 रुपए किलो तक बिक रहा है। लखनऊ मंडल के विभिन्न जिलों में भी इसकी कीमतों में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। व्यापारियों को नई फसल के आवक का इंतजार है। मीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भारत भूषण गुप्ता ने बताया कि आटे की कीमतों में यह वृद्धि अस्थायी है। नई फसल आने के बाद ही कीमतों में कमी आएगी।
आटे के दामों में वृद्धि का आंकड़ा
शहर | आटे का दाम (₹ प्रति किलो) |
लखनऊ | ₹40 प्रति किलो |
बाराबंकी | ₹39 प्रति किलो |
रायबरेली | ₹38 प्रति किलो |
हरदोई | ₹37 प्रति किलो |
सीतापुर | ₹36 प्रति किलो |
आमजन से लेकर व्यापारी तक परेशान
गेहूं-चावल और आटे की कीमतें बढ़ने से हर वर्ग परेशान है। आमजन की रसोई का बजट बिगड़ रहा तो वहीं आटे की कीमतें बढ़ने से रोटी, पराठा, समोसा और पाव जैसी खानपान की चीजें भी महंगी हो गई हैं। जिससे व्यापारियों का मुनाफा भी कम हो गया है। बेकरी, रेस्टोरेंट और होटल व्यवसाय से जुड़े लोग खासा परेशान हैं।
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