Kannadigas Reservation Row: कर्नाटक में प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में आरक्षण को लेकर विवाद खड़ा हो गया। राज्य के कई उद्योग नेताओं ने इस कदम का विरोध किया। उन्होंने इसे "भेदभावपूर्ण" फैसला बताया है और आशंका जताई है कि इससे टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री प्रभावित हो सकती है। एसोचैम कर्नाटक ने सिद्धारमैया सरकार के आरक्षण विधेयक पर सवाल उठाए और कहा कि इससे भारतीय आईटी और ग्लोबल सेक्टर की क्षमता में डर बैठेगा। हालांकि, राज्य की कांग्रेस सरकार ने आरक्षण विधेयक को अस्थायी रूप से टाल दिया है। 

'आरक्षण का फैसला फासीवादी और असंवैधानिक'
मणिपाल ग्लोबल एजुकेशन सर्विसेज के चेयरमैन मोहनदास पई ने इस कर्नाटक सरकार के आरक्षण विधेयक को "फासीवादी" और असंवैधानिक बताया। पई ने X पोस्ट में लिखा- “इस विधेयक को कचरे में फेंक देना चाहिए। यह भेदभावपूर्ण, प्रतिगामी और संविधान के खिलाफ है। @Jairam_Ramesh क्या सरकार हमें प्रमाणित करेगी कि हम कौन हैं? यह एक फासीवादी विधेयक है जैसा कि एनिमल फार्म में, अविश्वसनीय है कि @INCIndia ऐसा विधेयक ला सकता है - क्या एक सरकारी अधिकारी निजी क्षेत्र की भर्ती समितियों में बैठेगा? लोगों को लैंग्वेज टेस्ट से गुजरना होगा?”

किरण मजूमदार-शॉ बोलीं- भर्ती को छूट मिलनी चाहिए
बायोकॉन लिमिटेड की एग्जीक्यूटिव चेयपर्सन किरण मजूमदार-शॉ ने कहा कि राज्य को इस विधेयक को अपनी टेक्नोलॉजी सेक्टर में अग्रणी स्थिति को प्रभावित नहीं करने देना चाहिए और उच्च कौशल वाली भर्ती के लिए छूट होनी चाहिए। शॉ ने X पर पोस्ट में कहा- एक टेक्नोलॉजी हब के रूप में हमें कुशल प्रतिभा की जरूरत है और जबकि टारगेट स्थानीय लोगों को नौकरियां देने का है, हमें इस कदम से अपनी तकनीकी में अग्रणी स्थिति को प्रभावित नहीं करना चाहिए। इस पॉलिसी से उच्च कौशल वाली भर्ती को छूट मिलनी चाहिए।

भारतीय आईटी और जीसीसी डर जाएंगे: ASSOCHAM 
एसोचैम कर्नाटक के को-चेयरमैन आरके मिश्रा ने सिद्धारमैया सरकार के आरक्षण विधेयक पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अगर हर निजी कंपनी में एक सरकारी अधिकारी को नियुक्त किया जाता है तो यह भारतीय आईटी और ग्लोबल सेक्टर की क्षमता केंद्रों को डरा देगा। मिश्रा ने X पोस्ट में कहा- “कर्नाटक सरकार की एक और शानदार चाल। स्थानीय आरक्षण को अनिवार्य करें और इसे मॉनिटर करने के लिए प्रत्येक कंपनी में एक सरकारी अधिकारी नियुक्त करें। इससे भारतीय आईटी और जीसीसी डर जाएंगे।”

प्राइवेट नौकरियों को लेकर बिल में ये प्रावधान
मुख्यमंत्री कार्यालय से जानकारी दी गई है कि आने वाले दिनों में विधेयक की समीक्षा कर आगे फैसला लिया जाएगा। इससे पहले बुधवार को श्रम मंत्री संतोष एस. लाड ने कहा कि कर्नाटक में निजी कंपनियों में नौकरी के आरक्षण को गैर-प्रबंधन पदों के लिए 70% और प्रबंधन स्तर की भूमिकाओं के लिए 50% तक सीमित किया गया है। यह स्पष्टीकरण मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की X (पहले ट्विटर) पोस्ट पर आक्रोश के बाद आया, जिसमें उन्होंने ऐलान किया था कि निजी कंपनियों में सभी ग्रुप C और ग्रुप D जॉब्स में कन्नडिगों के लिए 100% आरक्षण होगा।