Cheque Signature Rule: चेकबुक संबंधित नियम हर खाताधारक के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि इन नियमों का पालन करने से चेक के द्वारा होने वाले लेन-देन को सुरक्षित रखा जा सकता है। चेक का सही साइन करना एक बहुत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसे जानना बेहद जरूरी हो जाता है। इसमें व्यक्ति को कुछ जरूरी नियमों का पालन करना चाहिए। आइए जानते हैं कि अगर चेक के पीछे साइन कर किसी व्यक्ति को देते हैं तो ऐसी स्थिति में वित्तीय जोखिम होगा या नहीं?
चेक पर साइन करते समय ध्यान देना चाहिए?
चेक एक लिखित गारंटी होता है जो किसी व्यक्ति या संस्था को एक निश्चित राशि का भुगतान करने का आदेश देता है। इसमें साइन करने का अर्थ एक मान्यता प्रदान करना होता है। चेक पर साइन करने के नियमों के मुताबिक, केवल बियरर्स चेक पर ही साइन किया जाता है, जिसे अनाम धारक नकदी के रूप में निकासी के लिए बैंक में जमा करता है। इसके अलावा चेक की राशि शब्दों और अंकों दोनों में लिखी जानी चाहिए। चेक की तारीख के बाद तीन महीने तक ही वह वैध होता है।
चेक से जुड़ी अहम बातें, जो जानना जरूरी हैं
- चालू या बचत खाते के लिए चेक जारी किया जा सकता है, और केवल चेक पर नामित भुगतानकर्ता ही इसे भुगतान कर सकता है।
- बिना तारीख वाला चेक अमान्य माना जाता है, और चेक जारी करने वाले को बिना ओवरराइटिंग के साइन करना चाहिए।
- चेक पर प्राप्तकर्ता का नाम ठीक से लिखा जाना चाहिए, और चेक के निचले भाग में एमआईसीआर कोड होता है जो चेक क्लीयरेंस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाता है।
- चेक साइन करते समय उपरोक्त नियमों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि आपका लेन-देन सुरक्षित रहे, और आप धोखाधड़ी का शिकार न बनें।
- बैंक बियरर्स चेक को सहमति से किया गया ट्रांजैक्शन मानता है। नियम के मुताबिक, इस तरह के चेक से हुए फ्रॉड की जिम्मेदारी बैंक की नहीं होती है।
- चेक के निचले हिस्से में 9 अंकों का एमआईसीआर कोड लिखा होता है, जो कि चेक क्लीयरेंस प्रक्रिया को ज्यादा सुविधाजनक बनाता है।