Onion Price: अगर आप भी प्‍याज की कीमत में उछाल आने से परेशान हैं तो यह खबर आपके काम की है। प्याज के दाम फिर से चर्चा में है। हाल ही में सरकार ने एक नया फैसला लिया है जिससे प्याज की कीमतें एक बार फिर आसमान छूने की संभावना है। इस फैसले का असर सिर्फ खाने की प्लेटों पर नहीं, बल्कि आम आदमी की जेब और किसानों के भविष्य पर भी पड़ सकता है।

आइए, जानते हैं कि इस बार प्याज की कीमतों से किसे सबसे ज्यादा नुकसान होगा- खरीदार या बेचने वाला?

प्‍याज के ऊपर से निर्यात शुल्क हटाया
प्‍याज की बढ़ती हुई कीमत को देखकर केंद्र सरकार का प्‍लान आने वाले समय में देशभर में बफर स्‍टॉक से ब‍िक्री करने का है। सरकार ने प‍िछले द‍िनों प्‍याज के ऊपर से निर्यात शुल्क हटाया है। इसके असर से प्‍याज की कीमत घटने की उम्‍मीद जताई जा रही है। अभी एनसीसीएफ और नेफेड के जर‍िये द‍िल्‍ली में प्‍याज की ब‍िक्री 35 रुपये क‍िलो की दर पर की जा रही है।

प्याज के दामों में उछाल की वजह
सरकार ने प्याज की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए हाल ही में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने और स्टॉक की सीमा निर्धारित करने का फैसला किया है। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य देश के भीतर प्याज की आपूर्ति को बढ़ाना है ताकि बाजार में उपलब्धता बनी रहे और दाम काबू में रहें।

देशभर में होगी सब्सिडी वाली प्याज की र‍िटेल ब‍िक्री
उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा कि केंद्र ने दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों के थोक बाजारों में अपने ‘बफर स्टॉक’ से प्याज निकालना शुरू कर दिया है। सरकार की योजना देशभर में सब्सिडी वाली प्याज की र‍िटेल ब‍िक्री करने की है। निधि खरे ने बताया कि निर्यात शुल्क हटाने के बाद हमें कीमतों में उछाल का अनुमान था। हमारे 4.7 लाख टन के ‘बफर स्टॉक’ और खरीफ की बुवाई के बढ़े हुए रकबे के साथ हमें उम्मीद है कि प्याज की कीमतें नियंत्रण में रहेंगी।

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द‍िल्‍ली में 35 रुपये क‍िलो पर ब‍िक रही प्‍याज
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 22 सितंबर को दिल्ली में प्याज की खुदरा कीमत 55 रुपये किलो थी, जो एक साल पहले 38 रुपये प्रति किलो थी। मुंबई और चेन्‍नई में कीमतें क्रमशः 58 रुपये और 60 रुपये किलो तक पहुंच गई हैं। सरकार दिल्ली और अन्य राज्यों की राजधानियों में मोबाइल वैन और एनसीसीएफ व नेफेड की दुकानों के जरिये 5 सितंबर से 35 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज बेच रही है।

किसान पर असर
सरकार के इस फैसले से सबसे बड़ा झटका किसानों को लग सकता है। प्याज का उत्पादन करने वाले किसानों को निर्यात पर प्रतिबंध और स्टॉक की सीमा की वजह से अपने उत्पाद की सही कीमत नहीं मिल पाएगी। इसका सीधा असर उनकी आमदनी पर पड़ेगा। कई किसान पहले से ही उत्पादन लागत के बोझ तले दबे हुए हैं और अब इस फैसले से उनके मुनाफे में और कमी हो सकती है।

खरीदार पर असर
वहीं दूसरी ओर बाजार में प्याज की उपलब्धता सीमित होने के बावजूद कीमतें बढ़ सकती हैं। इसका सीधा असर आम उपभोक्ता पर पड़ेगा। अगर इसकी कीमतें बढ़ती हैं, तो रसोई का बजट गड़बड़ा सकता है। पहले भी कई बार प्याज की कीमतें आसमान छू चुकी हैं और इस बार भी वही स्थिति देखने को मिल सकती है।

सरकार का उद्देश्य
सरकार का उद्देश्य है कि प्याज की कीमतें काबू में रहें और देश के अंदर इसकी आपूर्ति बेहतर हो। इसके लिए निर्यात पर प्रतिबंध और स्टॉक सीमा जैसे फैसले लिए गए हैं। हालांकि, इन नीतियों के असली नतीजे आने वाले हफ्तों में देखने को मिलेंगे।

कौन होगा सबसे ज्यादा प्रभावित?
इस स्थिति में, यह कहना मुश्किल है कि प्याज के बढ़ते दामों से कौन ज्यादा रोएगा- खरीदार या बेचने वाला। जहां एक ओर किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य नहीं मिल पाएगा, वहीं दूसरी ओर उपभोक्ताओं को महंगे प्याज का बोझ उठाना पड़ेगा। अब देखना यह होगा कि सरकार के इस फैसले से आने वाले दिनों में प्याज की कीमतें किस दिशा में जाती हैं और इसका कौन कितना असर झेलता है।