RBI MPC Results: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को अपनी मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC Meeting Results) के नतीजों की घोषणा कर दी। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी। शक्तिकांत दास ने बताया कि रेपो रेट में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है।
रेपो रेट नहीं बदलने के पक्ष में थे एमपीसी के ज्यादातर सदस्य
पहले की तरह रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर रखा गया है। इससे यह साफ हो गया है कि फिलहाल लोक के ईएमआई (EMI) अमाउंट में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होने वाला है। मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक में शामिल आरबीआई के 6 सदस्यों की राय थी कि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जाए।
साल भर से नहीं हुआ है रेपो रेट (Repo Rate) में बदलाव
आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (RBI MPC) ने आखिरी बार रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट यानी कि 0.25 प्रतिशत की वृद्धि की थी। इसके बाद से एमपीसी की छह बैठकों में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। रिवर्स रेपो रेट को भी पहले की तरह ही 3.35 % रखा गया है। बैंक रेट और MSF रेट को 6.75% पर और SDF रेट 6.25% पर बरकरार रखा गया है।
महंगाई दर पर आरबीआई की नजर
शक्तिकांत दास ने बताया कि आरबीआई की नजर महंगाई पर भी नजर है। खास तौर पर खाने-पीने चीजों की कीमतों (Food Inflation) पर एमपीसी कमेटी करीब से नजर रख रहा है। फिलहाल महंगाई में थोड़ी कमी आई है। इसे देखते हुए महंगाई दर (Inflation rate ) का टारगेट 4 % तय रखा गया है।
जीडीपी ग्रोथ में 7 फीसदी वृद्धि की संभावना
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि देश का GDP Growth होने की उम्मीद है। वित्तीय वर्ष 2024 ( FY24) में देश की रियल जीडीपी ग्रोथ 7% से ज्यादा रहने का अनुमान है। पहले भी बैंक ने जीडीपी ग्रोथ में 7.3 फीसदी बढ़ोतरी होने का अनुमान जाहिर किया था। शक्तिकांत दास ने कहा कि ग्रामीण सेक्टर में डिमांड में लगातार तेजी देखी जा रही है। इसके आधार पर भी कहा जा सकता है कि जीडीपी ग्रोथ बढ़ेगा।
रेपो रेट में बदलाव से क्या होता है असर:
- रेपो रेट एमआई (EMI) पर सीधा प्रभाव डालता है क्योंकि यह एक मौद्रिक नीति है जो केंद्रीय बैंक या मुद्रा नियंत्रण बोर्ड द्वारा स्थितियों के अनुसार बदलती है। रेपो रेट का सीधा असर EMI पर होता है क्योंकि यह बैंकों के कर्ज लेने और उधार देने की लागतों पर असर डालता है।
- बैंक ब्याज: रेपो रेट की बढ़ोतरी से बैंकों को कर्ज लेने के लिए अधिक ब्याज चुकता करना पड़ता है। ऐसा होने पर लोन के लिए दिए जाने वाले ब्याज में वृद्धि होती है। इससे लोगों को लोन पर अधिक इंटरेस्ट चुकाना पड़ता है, जिससे उनकी एमआई बढ़ सकती है।
- बैकों पर असर: अगर रेपो रेट बढ़ाया जाता है, तो बैंकों को धन प्राप्त करने की लागत बढ़ती है। बैंकों को कर्ज पाने के लिए अधिक ब्याज चुकाना पड़ता है। इस वजह से बैंक लोन लेने वालों से अधिक इंटरेस्ट रेट वसूलने के लिए मजबूर हो सकती हैं।
- अर्थव्यवस्था की स्थिति: रेपो रेट अर्थव्यवस्था की स्थिति का प्रतिबिम्ब माना जाता है। यदि अर्थव्यवस्था मंद है और रेपो रेट बढ़ता है, तो बैंकों को अधिक ब्याज का भुगतान करना पड़ सकता है।