Credit Card Use: क्रेडिट कार्ड का बार-बार मिनिमम बैलेंस चुकाना न पड़ जाए भारी! जान लें ये ज़रूरी बात

Credit Card Use: क्रेडिट कार्ड आज के समय में न सिर्फ एक सुविधाजनक पेमेंट टूल बन गया है, बल्कि कई लोगों की लाइफस्टाइल का अहम हिस्सा भी है। डिस्काउंट, कैशबैक, रिवार्ड पॉइंट्स जैसे फायदे इसकी लोकप्रियता को बढ़ाते हैं। लेकिन इन फायदों के बीच एक छोटी सी चूक आपको बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचा सकती है, खासकर तब जब आप हर महीने केवल 'मिनिमम ड्यू' भरकर अपना काम चला रहे हों।
मिनिमम पेमेंट करना भले ही तत्काल राहत दे, लेकिन यह एक ऐसा जाल है जिसमें फंसकर लोग धीरे-धीरे कर्ज के बोझ तले दबते चले जाते हैं। इसका असर सिर्फ जेब पर नहीं, बल्कि क्रेडिट स्कोर और भविष्य की फाइनेंशियल प्लानिंग पर भी पड़ता है। अगर आप भी इस आदत के शिकार हैं, तो अब सचेत हो जाना जरूरी है।
इन बातों पर दें ध्यान
मिनिमम ड्यू का मतलब क्या होता है?
क्रेडिट कार्ड कंपनियां आमतौर पर कुल बकाया राशि का 5% हिस्सा "मिनिमम ड्यू" के रूप में तय करती हैं। इसका मतलब होता है कि अगर आप इस तय रकम का भुगतान समय पर कर दें, तो लेट पेमेंट चार्ज से बच सकते हैं। यह सुनने में आसान और फायदेमंद लगता है, लेकिन असल में यही सबसे खतरनाक जाल होता है।
क्यों हो सकता है यह नुकसानदायक?
मिनिमम ड्यू भरने का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि बची हुई राशि पर भारी ब्याज लगता है। यह ब्याज 3 से 4 प्रतिशत मासिक हो सकता है, यानी सालाना 36% से 48% तक! यह ब्याज उस दिन से लगना शुरू हो जाता है जब आपने खरीदारी की होती है, न कि बिल डेट से। इस तरह आपका पूरा बकाया धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है।
असर आपके क्रेडिट स्कोर पर
आप भले ही सोचें कि आपने समय पर मिनिमम ड्यू भर दिया, लेकिन क्रेडिट स्कोर एजेंसियां इसे पूरा भुगतान नहीं मानतीं। बार-बार ऐसा करने से आपका क्रेडिट स्कोर गिर सकता है, जिससे भविष्य में लोन या दूसरा क्रेडिट कार्ड लेना मुश्किल हो सकता है।
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इंटरेस्ट-फ्री पीरियड हो जाएगा खत्म
जब आप मिनिमम पेमेंट करते हैं और बकाया चुकता नहीं करते, तो अगली बार जब आप कार्ड से कोई नई खरीदारी करते हैं, तो उस पर कोई इंटरेस्ट-फ्री पीरियड नहीं मिलता। यानी, नई खरीद भी ब्याज के साथ ही जोड़ दी जाती है, जिससे कुल बकाया और भी बढ़ जाता है।
बढ़ता जाता है कर्ज का बोझ
मिनिमम ड्यू की सुविधा एक अस्थायी राहत तो देती है, लेकिन लगातार इसका उपयोग करने से कर्ज चुकाना मुश्किल होता चला जाता है। हर महीने आप सिर्फ ब्याज चुका रहे होते हैं और मूल रकम जस की तस रहती है। यह एक ऐसा चक्र है जिससे बाहर निकलना आसान नहीं होता।
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क्या करना है सही?
अगर आपके पास पूरा भुगतान करने का विकल्प है, तो उसे ज़रूर अपनाएं। समय पर पूरा बिल चुकाकर आप न केवल ब्याज से बच सकते हैं, बल्कि अपने क्रेडिट स्कोर को भी मजबूत बना सकते हैं। अगर किसी महीने पैसे की तंगी हो तो एक बार के लिए ही मिनिमम ड्यू का विकल्प चुनें, लेकिन इसे आदत न बनाएं।
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