Tesla in India: भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल प्लांट के लिए तेजी से आगे बढ़ रही है टेस्ला, क्या मस्क को मिलेगा रिलायंस का साथ?

Tesla in India: अमेरिका की प्रतिष्ठित इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी टेस्ला भारत में अपनी EV के निर्माण और बिक्री को लेकर उत्साहित है। कंपनी के गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में से किसी एक राज्य में EV मैन्यूफ्रैक्चरिंग प्लांट शुरू करने की चर्चा है। भारत में टेस्ला ईवी के प्रोडक्शन के लिए एलन मस्क को एक स्थानीय भागीदार या कंपनी की तलाश है। द हिंदू बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, टेस्ला भारत में मैन्यूफ्रैक्चरिंग में सहयोग के लिए रिलायंस के साथ एक ज्वाइंट वेंचर लाने की संभावना पर विचार कर रही है।
भारत में टेस्ला की एंट्री पर क्या बोले मस्क?
रिपोर्ट्स में चर्चा है कि टेस्ला ने भारत में अपने इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए 2 बिलियन डॉलर के निवेश की योजना बनाई है। मैन्यूफ्रैक्चरिंग प्लांट के लिए गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में साइट की तलाश की जा रही है। इस दौरान महाराष्ट्र पसंदीदा ऑप्शन के रूप में उभरकर सामने आया है। नोर्गेस बैंक इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट के सीईओ निकोलाई टैंगेन के साथ एक X (पूर्व में ट्विटर) स्पेस सेशन में टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने भारत में टेस्ला की एंट्री की पुष्टि की। उन्होंने कहा- भारत अब दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है। दूसरे देशों की तरह यहां भी इलेक्ट्रिक कारों के ज्यादा ऑप्शन होने चाहिए। भारत में टेस्ला इलेक्ट्रिक व्हीकल उपलब्ध कराना शानदार कदम है।
अगले महीने भारत आ सकते हैं टेस्ला के अधिकारी
रिपोर्ट के मुताबिक, टेस्ला ईवी के प्रोडक्शन प्लांट के लिए साइट सर्च को अंतिम रूप देने और रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ ज्वाइंट वेंचर पर चर्चा के लिए अमेरिका से टेस्ला के सीनियर ऑफिशियल्स अगले महीने भारत आ सकते हैं। हालांकि, आरआईएल के साथ चर्चा अंतिम दौर में नहीं है, ऐसे में अगर यह विफल होती है तो टेस्ला किसी दूसरे घरेलू भागीदार की तलाश करेगी। इससे पहले मार्च में भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) पॉलिसी को मंजूरी दी थी, जिसका उद्देश्य देश में ईवी के लिए ग्लोबल मैन्यूफ्रैक्चरिंग हब के रूप में बढ़ावा देना है।
सरकार की नई EV पॉलिसी की क्या हैं शर्तें?
भारत सरकार की ईवी पॉलिसी में किसी कंपनी को यहां आकर काम शुरू करने के लिए कम से कम 4,150 करोड़ रुपए ($500 मिलियन) का निवेश करना जरूरी है। इसके अलावा भारत में विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने, ईवी का कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू करने और पांच साल के भीतर 50 प्रतिशत घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए) हासिल करने के लिए अधिकतम तीन साल की समयसीमा निर्धारित की गई है। अगर निवेश रकम 800 मिलियन डॉलर या अधिक है, तो सालाना लिमिट 8,000 व्हीकल से ज्यादा के साथ अधिकतम 40,000 ईवी निर्माण की मंजूरी मिलेगी।
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