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Union Budget 2024: संसद का बजट सत्र 22 जुलाई से शुरू हो गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को 7वीं बार बजट पेश करेंगी। इससे पहले उन्होंने फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया था। 

Union Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार (22 जुलाई) को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) पेश किया। इसमें बजट से पहले अर्थव्यवस्था से जुड़ी अहम जानकारियां सामने आईं। इसके मुताबिक, 2023-24 में मौजूदा वित्त वर्ष में 6.5-7% की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ का अनुमान है। वहीं, देश में महंगाई दर काबू में होने की बात कही गई। सामान्य मानसून और आगे कोई बाहरी जोखिम नहीं होने का अनुमान है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025 में महंगाई दर 4.5% और 2026 में 4.1% रहने की बात कही है। साथ ही अर्थव्यवस्था में बढ़ती कामगारों की जरूरत के लिहाज से गैर-कृषि क्षेत्र में औसतन हर साल 78.5 लाख नौकरी या रोजगार देने की जरूरत बताई गई। BJP-NDA सरकार का पूर्ण बजट 23 जुलाई को आएगा और सीतारमण 7वीं बार बजट पेश करेंगी।

इकोनॉमिक सर्वे 2024 की बड़ी बातें?

  • आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में मौजूदा वित्त वर्ष में 6.5-7 फीसदी की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ का अनुमान है, जिसमें जोखिम समान रूप से संतुलित हैं, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि बाजार की उम्मीदें हाई लेवल पर हैं। आरबीआई ने नवीनतम मौद्रिक नीति बैठक में चालू वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी पूर्वानुमान को 7 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया। जबकि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी 2024 के लिए भारत के विकास पूर्वानुमान को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया।
  • आरबीआई और आईएमएफ ने देश की उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति (महंगाई दर) वित्त वर्ष 2026 में इन्फलेशन टारगेट के हिसाब से उत्तरोत्तर संरेखित होगी। सामान्य मानसून और आगे कोई बाहरी या नीतिगत झटका नहीं होने का अनुमान है। आरबीआई को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 में महंगाई दर 4.5 फीसदी और वित्त वर्ष 2026 में 4.1 प्रतिशत रहेगी। IMF10 ने भारत के लिए 2024 में महंगाई दर 4.6 फीसदी और 2025 में 4.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। 
  • भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ती कामगारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में हर साल औसतन 78.5 लाख लोगों को नौकरी या रोजगार देने की जरूरत है।
  • सर्वे के मुताबिक, ग्लोबल इकोनॉमी मुश्किलों से गुजर रही है। इसका असर देश में कैपिटल फ्लो पर पड़ सकता है। सर्विस सेक्टर में ग्रोथ बनी रहेगी। नौकरी के अवसर पैदा करने में कॉरपोरेट सेक्टर की भूमिका बढ़े। 2023 के पहले तीन माह में शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी दर घटकर 6.7 फीसदी पर आ गई। मौजूदा वित्त वर्ष में आईटी सेक्टर में ज्यादा भर्तियों की उम्मीद नहीं है।
  • कोरोनाकाल के बाद देश की अर्थव्यवस्था में सुधार आया है। वित्त वर्ष 2024 में वास्तविक जीडीपी 2020 के मुकाबले 20 फीसदी अधिक रही है। इस उपलब्धी को कुछ की अर्थव्यवस्थाएं हासिल कर पाई हैं। अगले वित्त वर्ष में भी मजबूत ग्रोथ की उम्मीद है। जो कि जियो-पॉलिटिकल, फाइनेंशियल मार्केट और जलवायु के जोखिमों पर बहुत हद तक निर्भर करेगी।
  • वित्त वर्ष 2024 के दौरान प्राइवेट कैपिटल मार्केट के बल पर 10.9 लाख करोड़ रुपए पूंजी जुटाई गई। भारतीय शेयर बाजार का मार्केट कैपेटिलाइजेशन बढ़ा है। इसके चलते भारत जीडीपी और बाजार कैपिटेलाइजेशन रेश्यो के मामले में दुनिया में 5वें स्थान पर आ गया है।
  • वित्त वर्ष 2024 में ग्लोबल एनर्जी मूल्य सूचकांक में तेजी से गिरावट आई। वहीं केंद्र सरकार ने एलपीजी, पेट्रोल और डीजल के दामों में कटौती की। इससे मौजूदा वित्त वर्ष में खुदरा ईंधन महंगाई दर नीचे रही। अगस्त 2023 में देशभर में एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में 200 रुपए प्रति सिलेंडर की कमी आई। इसी प्रकार मार्च 2024 में पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी 2 रुपए कम की गईं। 

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए कई कदम उठाए: FM
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन को बताया कि "ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर सरकार ने कई कदम उठाए हैं। सबसे महत्वपूर्ण 63 अपराधों को अपराधमुक्त किया गया है और जिसके चलते आज कंपनियां आगे बढ़ने में सक्षम हैं। अनुपालन की चिंता के बिना उनके कार्यों के लिए एक केंद्रीय प्रसंस्करण प्रणाली भी स्थापित की गई है।" आज दोपहर में मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। इस साल के बजट पर सबकी निगाहें होंगी, क्योंकि दुनिया की कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं संघर्ष कर रही हैं। दूसरी ओर, भारत ने सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में अपना टैग बरकरार रखा है।

क्या है आर्थिक सर्वेक्षण?
आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की आर्थिक प्रभाग द्वारा तैयार दस्तावेज है, जो कि मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में फाइनल किया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के दौरान अर्थव्यवस्था की स्थिति और विभिन्न संकेतकों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह वर्तमान वर्ष के लिए कुछ दृष्टिकोण भी पेश करता है।

क्या है इकोनॉमिक सर्वे का इतिहास?
देश में पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में अस्तित्व में आया था जब यह बजट दस्तावेजों का हिस्सा था। फिर 1960 के दशक में इसे बजट दस्तावेजों से अलग कर दिया गया और बजट से एक दिन पहले पेश किया गया। 2022 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण का केंद्रीय विषय ‘एजाइल एप्रोच’ था, जो कोविड-19 महामारी के प्रति भारत की आर्थिक प्रतिक्रिया पर केंद्रित था। जबकि 2023 में केंद्रीय विषय ‘रिकवरी कंप्लीट’ था क्योंकि अर्थव्यवस्था रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पुनर्प्राप्ति की ओर बढ़ रही थी और कोविड पूर्व समयों में लौटने का प्रयास कर रही थी।

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