Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार यानी 1 फरवरी को देश का अंतरिम बजट पेश करेंगी। देश के करोड़ों नागरिकों के साथ ही अलग-अलग सेक्टर्स में काम करने वाली कंपनी, स्टार्टअप और पॉलिसी मेकर्स को बजट से खासी उम्मीदें हैं। हालांकि, चुनावी साल होने की वजह से यह अंतरिम बजट होगा और सरकारी की ओर से बड़ी घोषणाओं की उम्मीद कम ही है। फिर भी एजुकेशन इकोसिस्टम, एडटेक कंपनियों, इलेक्ट्रानिक्स, एग्रीटेक और ग्रीन एनर्जी को लेकर काम कर रही कंपनियों की क्या उम्मीदें हैं। आइए, जानते हैं...
1) अमित कपूर, सह-संस्थापक और सीईओ, यूफियस लर्निंग:
शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटलीकरण की ओर महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने की जरूरत है। एनईपी 2020 लागू करना स्कूली छात्रों को लर्निंग एजुकेशन देन के मामले में एक असरदार पहल है। बजट में उम्मीद करते हैं कि डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार एक विचारशील जीएसटी नीति के साथ एडटेक कंपनियों को नवाचार के साथ स्कूलों के लिए उपकरण और तकनीक विकसित करने को लेकर अहम ऐलान करेगी।
2) गौरव गोयल, सह-संस्थापक और सीईओ, टॉपरैंकर्स:
हमारा ध्यान सामाजिक अंतर को कम करने, क्वालिटी एजुकेशन देने और छात्रों की लर्निंग प्रोसेस को बढ़ाने पर है। आगामी बजट में आशा करते हैं कि इसमें मॉडर्न टेक्नोलॉजी और बेसिक एजुकेशन स्ट्रक्चर को बढ़ावा दिया जाएगा। ये पहल एनईपी 2020 के उद्देश्यों को पूरा करने और देश को प्रतिस्पर्धी वैश्विक स्थिति की ओर ले जाने के लिए अहम साबित होगा। पूरा भरोसा है कि यह बजट भारत के लिए एजुकेशन डेवलमेंट और समृद्धि की नींव रखेगा।
3) सुमित मणि, मेंबर, ईओ गुड़गांव और वेस्टवे इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक:
बजट में कॉस्ट इफेक्टिव टेलीविजन दरों और आवश्यक इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं तक आम आदमी की पहुंच का समर्थन करते हैं। अभी 32 इंच से ऊपर के एलईडी टीवी पर 28% की भारी जीएसटी लगती है। ग्राहकों पर इस बोझ को कम करने के लिए 32 इंच से ऊपर के सभी एलईडी टीवी पर जीएसटी को घटाकर 18% करने की मांग है। साथ ही ओपन सेल, टेलीविजन मैन्यूफ्रैक्चरिंग के लिए अहम घटकों में आईजीसीआर आयात पर 5% की कमी की सिफारिश करते हैं। यह सुझाव 'मेक इन इंडिया' को बढ़ाने के साथ-साथ आम आदमी को आवश्यक इलेक्ट्रॉनिक्स उपलब्ध कराने में मददगार सिद्ध होंगे।
4. बरुण अग्रवाल, मेंबर, ईओ गुड़गांव, सीईओ और संस्थापक, ब्रीथईज़ी कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड:
स्टैबिलिटी, डीकार्बोनाइजेशन और कार्बन उत्सर्जन सभी अहम मुद्दे हैं। प्रधानमंत्री ने बड़े पैमाने इनको लेकर बात की है। इस सेक्टर में स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए लोन प्रोसेस को आसान बनाने की जरूरत है। इन्हें सपोर्ट देने वाली टेक्नोलॉजी के लिए जीएसटी दरें घटाना चाहिए। तकनीकी विकास के लिए धन आवंटन की आवश्यकता है। हमारा उद्देश्य है कि इस प्रक्रिया के माध्यम से उद्योग से अधिक पूरे देश और ग्लोबल समुदाय को लाभ होना चाहिए। COP28 के दौरान और G20 शिखर सम्मेलन के दौरान किए गए वादों को पूरा करने की आवश्यकता है और इसकी शुरुआत के लिए समय बिल्कुल उपयुक्त है।
5. निरेन गुप्ता, मेंबर, ईओ गुड़गांव, और एमडी, एनर्जी ऑयलफील्ड टूल्स प्राइवेट लिमिटेड:
2024 का बजट एक अंतरिम बजट है, इसलिए बड़ी घोषणाओं की उम्मीद कम है। उम्मीदें है कि चुनावी साल में हम ग्रामीण और निम्न आय वर्ग के साथ-साथ कृषि क्षेत्र को राहत देने वाले उपाय किए जाएं। कॉर्पोरेट इनकम और इक्विटी पर एलटीसीजी/एसटीसीजी को कम करें। इनमें से किसी एक को भी बढ़ाना अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ारों के लिए घातक है। घरेलू निर्माताओं के लिए आयात शुल्क बढ़ाना अहम है, ताकि वे चीनी और अन्य इंपोर्ट प्रोडक्ट के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें।
एक्सपोटर्स की मदद के लिए इन लाभों को बढ़ाया जाना चाहिए और उन्हें वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने में मदद करनी चाहिए। पीएलआई जैसी अन्य योजनाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और अधिक उत्पादों और उद्योगों को शामिल करने के लिए उनका दायरा बढ़ाया जाना चाहिए। सरकार ने 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत स्थानीय मैन्यूफ्रैक्चरर को बढ़ावा देने पर फोकस किया है। ऐसे में मैन्यूफ्रैक्चरिंग प्रोसेस और टेक्नोलॉजी के विकास को आसान बनाने और दूसरे देशों पर निर्भरता कम करने के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर ध्यान देना जरूरी है।
6) अरमान सिद्दीकी, मेंबर ईओ गुड़गांव, संयुक्त प्रबंध निदेशक एवरग्रीन इंटरनेशनल लिमिटेड:
आम बजट में वित्त मंत्री से आग्रह कर रहे हैं कि आर्थिक विकास और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर रणनीतिक रूप से ध्यान दिया जाए, खासकर फर्नीचर मैन्यूफ्रैक्चरिंग और निर्यात क्षेत्र में। जो कि अभी 2 बिलियन डॉलर से कम है, लेकिन इसमें बड़ी क्षमता है और आने वाले समय में चीन+1 रणनीति के कारण यह सेक्टर 10 बिलियन डॉलर को पार कर सकता है। सरकार RoDTEP जैसी योजनाएं बनाए रखे और इन्हें मजबूत करे। लोजिस्टिक्स सब्सिडी की शुरूआत महत्वपूर्ण है ताकि भारत चीन और वियतनाम जैसे देशों के साथ तुलना में आगे निकल सके।
साथ ही भारत में श्रम कानूनों का पुनर्मूल्यांकन हो ताकि एक संतुलित ढांचे को बढ़ावा मिले, जिससे कंपनियों और श्रमिकों दोनों को लाभ हो। 15% की कम कॉर्पोरेट दर के माध्यम से महत्वपूर्ण कैपेक्स वाली विनिर्माण कंपनियों को प्रोत्साहित किया जाए, जिससे निवेश और उद्योग के विकास में वृद्धि हो। इसके अलावा उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में हस्तशिल्प/फर्नीचर उद्योग को शामिल किया जाए, जिससे नवाचार और प्रतिस्पर्धात्मकता में बढ़ावा मिल सके।