Vehicle Finance Rules: वाहन खरीदते समय व्हीकल ऑनर अधिकतर कम बजट होने के कारण फाइनेंस कंपनियों का सहारा लेते हैं। प्रदेश में संचालित फाइनेंस कंपनी ग्राहक का पेन कार्ड और बैंक स्टेटस के माध्यम से सिविल चेक कर वाहन खरीददारी के लिए 80 से 90 प्रतिशत तक लोन प्रदान करते हैं। फाइनेंस कर्मचारी ग्राहक को बिना नियम एवं शर्तों की जानकारी दिए वाहन पंजीकरण के कुछ फार्म में दस्तखत करा लेते हैं। लोन के दौरान 1 से 58 फार्म नंबर में अपनी उपयोग के अनुसार वैध और अवैध फार्म भरा लिया जाता है। अगर आप भी वाहन फाइनेंस करवाने की सोच रहें हैं, तो ये जानकारी आपके लिए है।
क्या है 29 और 30 नंबर फार्म
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने व्हीकल के लिए 1 नंबर से 58 नंबर तक के फार्म में अलग-अलग प्रक्रिया बनाई है। फार्म 29डी के तहत वाहन मालिक से हस्ताक्षर लेकर स्वेछापूर्व वाहन लेने की अनुमति और रजिस्ट्रीकर्ता अधिकारी को सूचित करना होता है। फार्म 30 के तहत मोटर व्हीकल मालिक को वाहन स्थानंतरण की सूचना देना होता है, लेकिन फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी लोन जारी से पहले ही इसमें हस्ताक्षर करा लेते हैं।
वाहन सीज करने का तरीका सही या गलत
फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी एक दो महीने की किस्त न देनें पर वाहन सीज करने पहुंच जाते हैं। वाहन मालिक जानकारी के अभाव में अपना वाहन दे बैठता है, तो कभी फाइनेंसरों के साथ मारपीट में उतारू हो जाता है। अगर व्हीकल ऑनर का वाहन सीज किया जाता है, तो सीज करने 45 दिन पूर्व ईएमआई संबंधित नोटिस भेजी जाती है।
इसके पश्चात फाइनेंसर 2 लोगों के साथ व्हीकल ऑनर से 29 नंबर फार्म व अन्य डाक्यूमेंट में दस्तखत लेकर ऑनर को वाहन वापसी की रसीद दी जाती है। इसके 15 दिन पश्चात फाइनेंस कंपनी वाहन किसी थर्ड पार्टी को सेल कर सकती है। जिसके लिए 30 नंबर फार्म में हस्ताक्षर लेना होता है। बिना इस प्रक्रिया के अगर फाइनेंसर आपकी गाड़ी को सीज करता है, तो वह पूरी तरह अवैध है।