Kidney Transplant Racket : साल 2000 में एक हिंदी फिल्म आई थी जिसका नाम था, 'रन'। इश फिल्म में एक सख्श नौकरी की तलाश में दिल्ली आता है और वह दिल्ली में किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट (Kidney Transplant Racket) चलाने वालों के जाल में फंस जाता है। दिल्ली में इसी तरह का एक मामला सामने आया है। पुलिस ने ऐसे ही एक मामले में एफआईआर दर्ज की है। किडनी ट्रांसप्लांट सिंडिकेट ने बांग्लादेशी से भारत में नौकरी करने आने वालों को अपनी शिकार बनाया है। नौकरी का झांसा देकर गिरोह ने लोगों को कभी न मिटने वाला दर्द दे दिया है।
तीन बांग्लादेशी नागरिकों की किडनी निकाल ली
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के अनुसार तीन बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में चल रहे किड़नी ट्रांसप्लांट रैकेट ने अपना शिकार बना लिया है। यह खुलासा पुलिस के द्वारा किया गया है। आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत दर्ज बयानों से एक भयावह योजना का पर्दाफाश हुआ है। पीड़ितों ने बताया कि उनको रोजगार देने का वादा करके भारत में बुलाया गया था। जॉब के पहले मेडिकल टेस्ट करवाने की आड़ में उनकी किडनी निकाल ली गई। बेहोश और असहाय लोगों को करीब 48 घंटे बाद होश आया, तब जाकर उनको पता चला कि उनकी किडनी निकाल ली गई है। हैरानी की बात यह है कि मुआवजे के रूप में उनके बैंक खातों में 4 लाख टका की मामूली राशि डालकर इस गैंग ने इन लोगों से पल्ला छुड़ा लिया।
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रोजगार के नाम पर शरीर कमजोर कर बैठे
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, किडनी तस्करों के चंगुल से छुड़ाए 30 साल के बांग्लादेशी पीड़ित ने बताया कि उसको ये समझ नहीं आ रहा था कि वह इस साल ईद मनाए या नहीं। क्योंकि वह अपनी किडनी गवा चुका था। इस घटना के बाद से वह गहरे सदमें में है और परेशान है। पीड़ित की मां, बहन और पत्नी बांग्लादेश में रहते हैं। पीड़िता ने बताया कि अपने देश में वह कपड़ों का व्यवसाय करता था। लेकिन आग लगने से कपड़े का कारोबार नष्ट हो गया, जिसके बाद उसने एक एनजीओ से 8 लाख टका लोन लिया। कुछ समय बाध 3 लाख टका तो चुका दिए लेकिन बाकी के कर्ज के लिए पैसे नहीं थो तो इसका काफी तनाव था। ऐसे में पैसे कमाने के लिए वो भारत आया था।
मेडिकल टेस्ट के बहाने किया बेहोश, निकाली किड़नी
दूसरे पीड़ित (35) साल ने बताया कि उससे नौकरी का वादा किय गया था। नौकरी देने के नाम पर उसे 2 फरवरी को भारत बुलाय गया। एयरपोर्ट पर पहुंचे रसेल और मोहम्मद रोकन नाम के लोग उसे होटल रामपाल, जासोला लेकर गए। उससे एक अस्पताल में नौकरी देने का वादा किया गया और भारतीय नियमों के मुताबिक, मेडिकल टेस्ट करवाने को कहा गया। पीड़ित ने बताया कि उसके 15-20 टेस्ट किए गए। इनमें ब्लड टेस्ट और एक ईसीजी भी था। 2 अप्रैल को उसको एक अस्पताल ले जाया गया और 3 अप्रैल को एक इंजेक्शन देकर बेहोश कर दिया।
इसके बाद 5 अप्रैल को उसे जब होश आया तो उसके पेट पर एक निशान और टांके थे। उसको बताया गया कि उसने सर्जरी करवाई है। 6 अप्रैल को, रसेल और उनके सहयोगी ने उसे जासोला के होटल में भेज दिया। रसेल ने उसके बैंक खाते की डिटेल लेकर उसमें 4 लाख टका जमा करा दिए, लेकिन उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया। इसके बाद उसको बताया गया कि उसे नौकरी नहीं मिलेगी, वह बांग्लादेश वापस लौट जाए।
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