National Science Day-2024: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस हर वर्ष विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे रिसर्च, नवाचारों और मानव जीवन में उनकी उपयोगिता को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष इसकी थीम विकसित भारत के लिए स्वदेशी टेक्नोलॉजी, सामाजिक चुनौतियों का समाधान और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने घरेलू उपायों के महत्व को रेखांकित करना है। यह भारतीय वैज्ञानिकों की उपलब्धियों को उजागर करते हुए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के लिए सार्वजनिक प्रशंसा को बढ़ावा देने के रणनीतिक फोकस को दर्शाता है।
निश्चित ही विज्ञान के क्षेत्र में नित नए प्रयोग हो रहे हैं। भारत भी इसमें पीछे नहीं है। वैज्ञानिक अनुसंधान में भारत की प्रगति को विश्व स्तर पर स्वीकार किया गया है। देश वैज्ञानिक अनुसंधान प्रकाशनों में शीर्ष पांच स्थान पर हैं। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) में पर्याप्त प्रगति कर रहा है। 90,000 से अधिक पेटेंट फाइलिंग के साथ भारत अपने वैज्ञानिक पारिस्थितिकी तंत्र में पुनरुत्थान देख रहा है, जो देश के जीवन को आसान बनाने में योगदान दे रहा है।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का महत्व
सर सीवी द्वारा 'रमन प्रभाव' की खोज की स्मृति में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) प्रतिवर्ष 28 फरवरी को मनाया जाता है। पहली बार 1987 में इसे मनाया गया। राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (NCSTC ने रमन प्रभाव की खोज के उपलक्ष्य में 1986 में भारत सरकार से 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में नामित करने को कहा था। बाद में महान वैज्ञानिक सीवी रमन को 1930 में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का उद्देश्य विज्ञान संचार गतिविधियों को बढ़ावा देना, वैज्ञानिक जांच और सहयोग को प्रोत्साहित करना है।
भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियां
कृत्रिम बुद्धिमत्ता, खगोल विज्ञान, नवीकरणीय ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान के साथ, हाल के वर्षों में भारत के वैज्ञानिक प्रक्षेप पथ में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग और कोविड-19 महामारी के दौरान भारत की मजबूत वैक्सीन विकास क्षमता उल्लेखनीय उपलब्धि हैं।
विज्ञान के इन क्षेत्रों में शानदार कैरियर बना सकते हैं विद्यार्थी
- समुद्री (marine ) इंजीनियरिंग: मरीन इंजीनियरिंग में जहाजों, नावों, पनडुब्बियोंऔर अन्य जलयानों को डिजाइन किया जाता है। मरीन इंजीनियर समुद्री जहाज के सफलतापूर्वक संचालन में अहम भूमिका निभाते हैं और समुद्र एवं उसके आसपास उपयोग की जाने वाली मशीनों का डिजाइन, रख-रखाव, निर्माण करते हैं। साइंस बैकग्राउंड के छात्र मरीन इंजीनियरिंग या ओशेन इंजीनियरिंग में बीई/बीटेक कोर्स के साथ इस करियर में दाखिल हो सकते हैं। मेकेनिकल इंजीनियरिंग के बाद मास्टर्स कर सकते हैं। इस विषय में डिग्री हासिल करने के बाद आप गवर्नमेंट एवं प्राइवेट शिपिंग कंपनियों, सीक्राफ्ट डिजाइनिंग एवं बिल्डिंग, इंजन प्रोडक्शन फर्म में आकर्षक जॉब हासिल कर सकते हैं।
- कृषि (agriculture) इंजीनियरिंग: एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में कृषि को बढ़ावा देने वाले प्रयासों, जैसे उपयुक्त मिट्टी, खाद्य पदार्थ, बीज, बायोलॉजिकल सिस्टम से संबंधित बारीकियां सिखायी जाती हैं। मौजूदा दौर में हर जगह कृषि विशेषज्ञों की मांग है। 12वीं के बाद एग्रीकल्चर के चार वर्षीय बीई/बीटेक कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। पोस्ट ग्रेजुएशन यानी एमई/एमटेक किया जा सकता है। एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में करियर बनाने के लिए 10वीं और 12वीं के बाद पॉलिटेक्निक डिप्लोमा भी कर सकते हैं। तीन वर्ष के इस कोर्ष के बाद को-ऑपरेटिव्स, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स, फर्टिलाइजर और इरिगेशन कंपनी, फार्मिंग कंपनीज, ऑर्गनाइजेशन, एनजीओ में रोजगार के मौके मिलते हैं।
- खाद्य प्रौद्योगिकी (food technology): अच्छे खानपान का शौक रखने के साथ, फूड प्रोडक्ट में उपयोग होने वाले रसायनों, खाद्य पदार्थों के रख-रखाव, उन्हें पैक करने के तरीकों एवं मार्केटिंग से संबंधित बातों में रुचि रखनेवाले युवाओं के लिए फूड साइंस एवं टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग एक बेहतरीन करियर ऑप्शन है। 12वीं करने के बाद फूड साइंस, केमिस्ट्री या माइक्रोबायोलॉजी में बैचलर डिग्री कर सकते हैं। स्नातक के बाद फूड केमिस्ट्री, मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस और अन्य क्षेत्रों में एडवांस डिग्री भी कर सकते हैं। आप डायटेटिक्स एंड न्यूट्रिशन, फूड साइंस एंड पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन में डिप्लोमा भी कर सकते हैं। एक फूड टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में आप फूड प्रोसेसिंग कंपनियों, फूड रिसर्च लेबोरेटरी, होटल, रेस्टोरेंट, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में कॅरियर की संभावनाएं तलाश सकते हैं।
- फोरेंसिक विज्ञान (forensic science): साइंस बैक ग्राउंड का छात्र फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में बेहतर करियर बना सकते हैं। 12वीं के बाद फॉरेंसिक साइंस में स्नातक कर फॉरेंसिक साइंस एवं क्रिमिनोलॉजी में एक वर्षीय डिप्लोमा कर लें। मास्टर्स का विकल्प भी है। आप फॉरेंसिक स्पेशलिस्ट बनना चाहते हैं, एमबीबीएस डिग्री और फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी में एमडी कर फॉरेंसिक एक्सपर्ट के रूप में इंटेलिजेंस ब्यूरो, सीबीआई, स्टेट पुलिस फोर्स के क्राइम सेल में काम कर सकते हैं। प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी से भी जुड़ सकते हैं।
- अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (space technology): इसमें कॉस्मोलॉजी, स्टार साइंस, एस्ट्रोफिजिक्स, प्लेनेटरी साइंस, एस्ट्रोनॉमी का अध्ययन किया जाता है। फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथमेटिक्स से 12वीं पास कर आप स्पेस साइंस के बैचलर डिग्री ले सकते हैं। ऑल इंडिया लेवल पर प्रवेश परीक्षा पास करनी होगी।स्नातक के बाद आप स्नातकोत्तर कर पीएचडी कर सकते हैं। स्पेस साइंटिस्ट, एस्ट्रोनॉमर, एस्ट्रोफिजिसिस्ट, मटीरियोलॉजिस्ट, क्वालिटी एश्योरेंस स्पेशलिस्ट, रडार टेक्नीशियन आदि के रूप में नासा, इसरोएवं डीआरडीओ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम के अवसर प्राप्त कर सकते हैं। वहीं स्पेसक्राफ्ट, सॉफ्टवेयर डेवलपिंग फर्म, रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर, स्पेसक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग फर्म में भी काम के मौके हैं।
लेखक: डॉक्टर रामानुज पाठक, उच्च माध्यमिक शिक्षक शास.उत्कृष्ट उच्च. माध्यमिक विद्यालय व्यंकट एक सतना मध्यप्रदेश