सचिन सिंह बैस, भोपाल: आयुर्वेद चिकित्सा में स्नातक (बीएएमएस) पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए अब कक्षा 12वीं उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता नहीं रहेगी। कक्षा 10वीं उत्तीर्ण करने के बाद भी इसमें प्रवेश लिया जा सकता है। इसके लिए अलग से नीट यूजी परीक्षा आयोजित की जाएगी। हालांकि इस पाठ्यक्रम के लिए हर राज्य में एक-दो संस्थान ही होंगे। ये संस्थान आयुर्वेद गुरुकुलम के नाम से जाने जाएंगे।
मौजूदा आयुर्वेद संस्थानों को आयुर्वेद गुरुकुलम में या आ युर्वेद गुरुकुलम को अन्य संस्थानों में परिवर्तित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। विद्यार्थियों को यहां रहकर अध्ययन करना होगा। इनका अस्पताल भी अलग से होगा। यह पाठ्यक्रम साढ़े सात वर्ष का होगा। शिक्षण सत्र प्रतिवर्ष अक्टूबर में प्रारंभ होगा।
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एनसीआइएसएम ने जारी की अधिसूचना
एनसीआईएसएम नईदिल्ली के सचिव डॉ सच्चिदानंद प्रसाद द्वारा जारी अधिसूचना में स्पष्ट है कि पांच करोड़ की जनसंख्या पर एक अतिरिक्त आयुर्वेद गुरुकुलम की स्थापना होगी। अधिसूचना जारी कर दी है। 2025- 26 के सत्र से प्रवेश प्रारंभ हो जाएगा। इसके तहत साढ़े सात वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम में प्रारंभिक दो वर्ष प्री-आयुर्वेद व साढ़े चार वर्ष का बीएएमएस के साथ एक वर्ष की अनिवार्य रोटेटरी इंटर्नशिप होगी। प्री-आयुर्वेद में विद्यार्थियों को संस्कृत, आयुर्वेद का परिचय तथा अन्य ऐसे विषय पढ़ाए जाएंगे, जो आयुर्वेद के हिसाब से जरूरी हैं, जिन्हें बायो ग्रुप के विद्यार्थी 11वीं-12वीं में नहीं पढ़ रहे थे।
न्यूनतम आयु 15 वर्ष
नीमा छात्र संघ के राष्ट्रीय संयोजक डॉ हरेंद्र सिंह भदौरिया ने कहा कि सरकार की इस पहल का हम स्वागत व समर्थन करते है। प्री-आयुर्वेद कोर्स उन छात्रों के लिए एक वरदान साबित होगा जो सच मे आयुर्वेद की पढ़ाई करना चाहते है। इसमें प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु 15 वर्ष निर्धारित की है।
साढ़े सात वर्षीय होगा डिग्री कोर्स
आयुष मेडिकल एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ राकेश पाण्डेय ने कहा कि एनसीआईएसएम भारत सरकार का उचित कदम है। अब आयुर्वेद स्नातक प्री आयुर्वेद के साढ़े सात वर्षीय डिग्री कोर्स में आयुर्वेद पैथी में पूर्णरूपेण रुचि लेने वाले छात्र ही प्रवेश लेंगे।