UGC NET 2024: नीट परीक्षा को लेकर चल रहे विवाद के बीच 19 जून को शिक्षा मंत्रालय ने यूजीसी नेट जून 2024 को रद्द कर दिए है। इसको लेकर शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि गड़बड़ी की आशंका के चलते इसे रद्द किया गया है। दूसरी ओर, नेट एग्जाम रद्द करने के साथ ही सरकार ने जांच के लिए सीबीआई को आदेश दिए थे और सीबीआई ने 20 जून को इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
ऐसे में ज्यादातर लोगों के मन में अभी भी बड़ा सवाल यही है कि आखिर एक दिन में हुए एग्जाम को सरकार ने क्यों रद्द करवाया, चलिए इसकी वजह समझते हैं।
रद्द करने पर शिक्षा मंत्री क्या बोले?
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि नेट पेपर को लेकर शिकायतों के बाद हम नेशनल साइबर सिक्योरिटी एजेंसी के साथ संपर्क में थे। हमें पता चला कि पेपर की कुछ जानकारी डार्कनेट पर आ गई है। टेलीग्राम ऐप पर पेपर लीक हुआ था, जिसे बाद में हमने ओरिजनल पेपर से मिलाया। इसके बाद परीक्षा की पवित्रता और सुचिता बनाए रखने के लिए इसे रद्द कर दोबारा कराने का निर्णय लिया गया है।
जानिए क्या है डार्कनेट
डार्क वेब बहुत सारे आईपी एड्रेस से कनेक्ट और डिस्कनेक्ट होता है, जिससे इसको ट्रैक कर पाना मुश्किल होता है। डार्क वेब पर डील करने के लिए वर्चुअल करेंसी जैसे बिटकॉइन का इस्तेमाल किया जाता है. जिससे ये पकड़ पाना मुश्किल होता है।
जानकारी के मुताबिक डार्कनेट असल में इंटरनेट का वो हिस्सा है, जहां पर हर तरीके के काम को अंजाम दिया जाता है। दरअसल इंटरनेट का 96 फीसद हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है। यूजर्स इंटरनेट कंटेंट में सिर्फ 4% हिस्से का इस्तेमाल करते है, जिसे सरफेस वेब कहा जाता है। डीप वेब पर मौजूद कंटेंट को एक्सेस करने के लिए पासवर्ड की जरूरत होती है।
डार्क वेब पर पेपर लीक और हर स्कैम
डार्क वेब पर सिर्फ पेपर लीक जैसे ही अपराध नहीं होते हैं। बल्कि यहां पर हर गलत कामों के लिए सुपारी देना, हथियारों की तस्करी जैसे अवैध काम भी होते हैं। डार्क वेब पर ढेर सारे ऐसे भी स्कैमर्स होते हैं, जो बेहद सस्ते में वो चीजें भी बेचते हैं जो बैन हैं।
UGC NET एग्जाम की क्यों होती है जरूरत?
यह परीक्षा देश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर या जूनियर रिसर्च फेलोशिप और असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में भारतीय नागरिकों की पात्रता निर्धारित करने के लिए आयोजित की जाती है। इस परीक्षा में दो पेपर होते हैं और दोनों पेपर के आधार पर JRF/ असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए पात्रता का निर्णय होता है। बता दें कि दोनों के कटऑफ अलग-अलग होते हैं, वहीं जेआरएफ मिलने वाले उम्मीदवारों को जेआरएफ के दौरान स्टाइपेंड भी मिलता और ये आगे चल कर रिसर्च या पीएचडी में एडमिशन ले सकते हैं।