Dev Anand Death Anniversary: देव आनंद... एक करिश्माई अभिनेता, चार्मिंग पर्सनालिटी, दिग्गज निर्माता और निर्देशक, एक ऐसे व्यक्तित्व जिसने जिसने असल मायने में भारतीय सिनेमा को अलग पहचान दिलाई, आज भी सिनेमा में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। भारतीय सिनेमा में उन्होंने जो विरासत बनाई वो आज भी जीवंत है। 3 दिसंबर 2011 को देव आनंद की 13वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर एक नजर डालते हैं उनकी ऑइकॉनिक फिल्मों पर जो आज भी लोगों के दिलों में बसी है। उन्होंने तमाम फिल्मों में बेहतरीन एक्टिंग कर, भारतीय सिनेमा को एक अलग स्तर पर पहुंचा दिया। 

गाइड (1965)


भारतीय सिनेमा की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक है 'गाइड' जो आर.के. नारायण के उपन्यास पर आधारित थी। इसका निर्देशन विजय आनंद (देव आनंद के भाई) ने किया था। फिल्म में देव आनंद ने राजू का किरदार निभाया था जो एक टूरिस्ट गाइड के बाद आध्यात्मिक गुरु बन जाता है। उनके साथ वहीदा रहमान की रोमांटिक कैमिस्ट्री देखी गई थी। फिल्म का मशहूर गाना "आज फिर जीने की तमन्ना है" पीढ़ियों के दिलों में बसा हुआ है।

तेरे घर के सामने (1963)


रोमांटिक कॉमेडी फिल्म 'तेरे घर के सामने' में देव आनंद ने अपनी बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग से शानदार प्रदर्शन किया। फिल्म में नूतन लीड एक्ट्रेस थीं। फिल्म में देव आनंद ने एक ऐसे युवक का किरदार निभाया था जो अपनी पड़ोसी से प्यार कर बैठता है और उसकू प्रेमिका का परिवार इस रिश्ते के खिलाफ होते हैं। "तेरे घर के सामने" गाना आज भी काफी पॉपुलर है। 

जॉनी मेरा नाम (1970)

 

'जॉनी मेरा नाम' भारतीय सिनेमा में 'सुपरकॉप' जॉनर की सबसे पॉपुलर फिल्मों में से एक है। इसमें देव आनंद ने एक चार्मिंग जासूस का किरदार निभाया था जो अपने माता-पिता की हत्या का बदला लेने के लिए संघर्ष करता है। यह फिल्म एक्शन, सस्पेंस और शानदार संगीत से भरपूर थी, जिसमें "पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले" जैसा गाना सुपरहिट रहा। फिल्म में हेमा मालिनी के साथ उनकी ट्वीनिंग देखी गई थी। 

काला पानी (1958)


'काला पानी' में देव आनंद ने एक ऐसे शख्स का किरदार निभाया था जिसे हत्या के आरोप में झूठी सजा दी जाती है और उसे एक दूर-दराज की जेल में आजीवन कारावास की सजा मिल जाती है। फिल्म की कहानी भ्रष्टाचार और सामाजिक न्याय जैसे विषयों पर आधारित थी, जो मुद्दे उस समय से भी आगे थे। फिल्म की लीड एक्ट्रेस मधुबाला आज भी उनके मशहूर गाने 'अच्छा जी, मैं हारी चलो मान जाओ ना' प्रशंसकों के बीच फेवरेट बना हुआ है।

हरे रामा हरे कृष्णा (1971)


'हरे राम हरे कृष्णा' से देव आनंद ने बतौर निर्देशक शुरुआत की थी। फिल्म में 1970 के दशक में बढ़ते काउंटरकल्चर मूवमेंट जैसे- ड्रग्स का सेवन और पीढ़ियों के बीच के फासले जैसे विषयों पर मुख्य रूप से बात रखी गई थी। फिल्म में जीनत अमान ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जो उनके करियर के लिए एक मील का पत्थर साबित हुई। फिल्म में पहली बार हिप्पी कल्चर का जिक्र किया गया था। इसके गाने 'फूलों का तारों का' और 'दम मारो दम' आज भी बेहद पॉपलुर हैं।