Kho Gaye Hum Kahan Review: आजकल हमारी जिंदगी सोशल मीडिया पर ही आधारित हैं और हम सोशल मीडिया पर ही जीते है। हम पूरे दिन अपने फोन को बार- बार चैक करते रहते है। वहीं एक टैप किया तो किसी की प्रोफाइल खुली और पता चल गया कि वो कहां है। इसी तरह एक स्वाइप किया और अपनी जिंदगी का नया प्यार ढूंढने लगते है। साथ ही कभी कभी लोग किसी को ब्लॉक करने के बाद दूसरी प्रोफाइल बना के चेक करते है कि इंसान क्या कर रहा है। हलांकि, असली चेहरे, फीलिंग्स और पहचान को छुपाना भी सोशल मीडिया के जरिए काफी आसान हो गया है। खासबात यह है कि सोशल मीडिया वाली दौड़ भाग भरी दुनिया में मानों तो हम सही से जीना भूल गए हैं। इसी बात एहसास दिलाने के लिए नेटफ्लिक्स की नई फिल्म 'खो गए हम कहां' है।

फिल्म की कहानी?
बता दें, फिल्म की कहानी तीन दोस्तों के बारे में है, सिद्धांत चतुर्वेद, अनन्या पांडे और आदर्श गौरव है। इमाद एक अच्छे और पैसे वाले पिता का बेटा है, जो स्टैंडअप कॉमेडी करता है। वहीं अपने कॉमेडियन अंदाज के पीछे उसने अपने साथ हुए एक काले सच को छुपाया हुआ है। इमाद टिंडर पर रोज किसी ना किसी नई लड़की के साथ हुकअप करता है, लेकिन इमोशनल इंटीमेसी के मामले में सबसे एकदम दूर रहता है।


फिल्म की शुरुआत में वो अपने स्टैंडअप की मदद से अपने दो बचपन के बेस्ट फ्रेंड्स से ऑडियंस को मिलवाता है। अहाना, जो एमबीए को पूरा कर एक बड़ी कंपनी में काम कर रही है और नील एक जिम ट्रेनर के किरदार में है। इमाद और अहाना एक ही घर में रहते हैं। वहीं नील अपने मां-बाप के साथ रहता है। नील और इमाद दोनों ही नहीं जानते कि उन्हें अपनी लाइफ में आगे क्या करना है। उनके पास कोई फ्यूचर का खास प्लान भी नहीं है। वहीं अहाना अपनी कंपनी में मेहनत करने के बावजूद कुछ अच्छा नहीं कर पा रही है। इसके साथ ही पर्सनल लाइफ में बॉयफ्रेंड के कारण से दर्द झेल रही है। खास बात यह है इस फिल्म में कि ये तीनों दोस्त अपनी दोस्ती और लाइफ में आने वाली दिक्कतों का सामना कैसे करते है।

कैसी है परफॉरमेंस
'खो गए हम कहां' में अनन्या पांडे ने बहुत अच्छा परफॉर्म किया है। वो अपने अहाना के रोल में काफी कंफर्टेबल हैं और यही वजह है कि उनकी परफॉरमेंस इतनी बढ़िया रही है। सिद्धांत चतुर्वेदी के दो रूप आपको फिल्म में देखने मिलते हैं। एक कॉमेडियन लड़का जो स्टैंडअप के जरिए लोगों को हंसाता है और वहीं दूसरी और एक अपने ही जज्बातों और दिमाग की उलझन में फंसा शख्स है, जो चाह कर भी किसी का नहीं हो पा रहा है। उनके दोनों ही रूप देखना अच्छा है। आदर्श गौरव का रोल इस फिल्म में सबसे ज्यादा कॉम्प्लेक्स है और उन्होंने उसके साथ न्याय किया है।

'दिल चाहता है' और 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' के बाद एक्सेल एंटेरटेनमेंट यंगस्टार्स के साथ दोस्ती की नई कहानी लेकर आया है। जिसमें डायरेक्टर अर्जुन वरैन सिंह ने इस फिल्म को काफी अच्छे से बनाया है। इस फिल्म की कहानी बहुत सिंपल है और पूरे समय आपको बांधे रखती है। तनय साटम और प्रसाद चौरसिया की सिनेमेटोग्राफी काफी अच्छा है। फिल्म का म्यूजिक उसमें दिखाए जाने वाले इमोशन्स को बताता है। जिसके बावजूद, फिल्म में बहुत-सी कमियां हैं, जो कभी आप अंदेखा कर देते हैं, तो कभी नहीं कर पाते है। अगर आप इस हॉलिडे सीजन कुछ रिफ्रेशिंग देखने के बारे में सोच रहे हैं, तो इस फिल्म को एक बार जरूर देख सकते हैं।