Bollywood Flashback: एक ऐसी अभिनेत्री, जो अपनी सादगी के साथ-साथ सिनेमा जगत में बेहद खूबसूरत अभिनेत्रियों में शुमार रहीं। बड़ी-बड़ी आंखें, नूरानी चेहरा और गजब की गंभीरता वाली एक्ट्रेस की फिल्में आज भी दर्शकों को बांधने में कामयाब रहती हैं। पर्दे पर उनकी फिल्म चल रही हो, तो देखने वाले बरबस हर सीन, हर हावभाव को बस निहारते रह जाते है। जी हां! ये कोई और नहीं, स्मिता पाटिल हैं। महज 31 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाली स्मिता पाटिल एक्टिंग में कमाल करने से पहले न्यूज एंकर थीं। दूरदर्शन एंकर कैसे बनीं? अभिनय की दुनिया में कदम कैसे रखा? तस्वीर वाला वाकया क्या है, जिसने एक एंकर की तकदीर बदल दी? जानिए-
सड़क पर गिरी तस्वीरें दूरर्दशन के निर्देशक को पसंद आईं
मुंबई में जन्मीं वर्सेटाइल अभिनेत्री स्मिता पाटिल की पढ़ाई मराठी माध्यम के स्कूलों में हुई थी। पढ़ाई के बाद वह मुंबई दूरदर्शन में मराठी में समाचार पढ़ने लगी थीं। स्मिता पाटिल की जीवनी मैथिली राव ने 'स्मिता पाटिल अ ब्रीफ इनकेनडिसेंस' नाम से लिखी है, जिसमें उन्होंने स्मिता पाटिल के दूरदर्शन को लेकर मजेदार किस्सा सुनाया था। मैथिली राव ने स्मिता की जीवनी में बताया था, 'स्मिता की एक दोस्त ज्योत्सना किरपेकर बंबई दूरदर्शन पर समाचार पढ़ा करती थीं और उनके पति का नाम दीपक किरपेकर था, जो पेशे से फोटोग्राफर थे और प्रोफेशन के दौरान वह अवसर स्मिता की तस्वीरें खीचा करते थे।
दूरदर्शन में पढ़ती थीं मराठी में समाचार
इसी दौरान एक बार दीपक उनकी तस्वीरें लेकर दूरदर्शन केंद्र गए थे, जहां प्रवेश करते ही स्मिता की तस्वीरें जमीन पर गिर पड़ीं और वह तस्वीरों को जमीन पर ही व्यवस्थित करने लगे। इस दौरान वहां से निकल रहे मुंबई दूरदर्शन के निर्देशक पीवी श्री कृष्मामूर्ति की नजर तस्वीरों पर पड़ी। अचानक उन्होंने पूछा, 'यह किसकी तस्वीरें है?' फिर क्या था? दीपक ने उन्हें जब स्मिता के बारे में बताया, तो उन्होंने कहा कि वो उनसे मिलना चाहते हैं। हालांकि, स्मिता इस काम के लिए तैयार नहीं थीं और वह काफी मान-मनौव्वल के बाद दूरदर्शन केंद्र जाने के लिए तैयार हुईं। खास बात यह है कि ऑडिशन में जब स्मिता से पसंद की कोई चीज सुनाने के लिए कहा गया, तो उन्होंने कुछ और नहीं बांग्लादेश का राष्ट्र गान 'आमार शोनार बांग्ला सुनाया। निदेशक को उनकी आवाज इतनी पसंद आई कि उन्होंने तत्काल न्यूज एंकर के लिए उन्हें चुन लिया। इसके बाद स्मिता मुंबई दूरदर्शन में मराठी में समाचार पढ़ने लगीं।
श्याम बेनेगल ने दिया ब्रेक...राज बब्बर से शादी
लोगों को उनकी आवाज इतनी पसंद थी कि जिन्हें मराठी नहीं आती थी, वह भी उनकी आवाज को सुनने के लिए टीवी खोलकर बैठ जाते थे। स्मिता के एक्टिंग करियर को भी यहीं से शानदार मौका मिला। लोकप्रिय फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल ने भी स्मिता को पहली बार टीवी पर ही देखा था और देखने के बाद उन्हें अपनी फिल्म में साइन करने का मन बना लिया था। स्मिता पाटिल ने पहले से शादीशुदा एक्टर राज बब्बर से शादी की थी। राज बब्बर से उन्हें एक बेटा प्रतीक बब्बर है. जो एक्टर है और 'आरक्षण' के साथ ही अन्य कई फिल्मों में नजर आ चुके हैं। स्मिता महज 31 की उम्र में अपने फैंस को सदमा दे गई। उनकी 13 दिसंबर 1986 को मृत्यु हो गई थी।
स्मिता की फिल्में और सम्मान
स्मिता पाटिल ने श्याम बेनेगल की फिल्म चरणदास चोर (1975) से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। वह समानांतर सिनेमा की प्रमुख अभिनेत्रियों में से एक बन गईं, जो भारतीय सिनेमा में एक नई लहर थी। हालांकि वह अपने करियर के दौरान कई मुख्यधारा की फिल्मों में भी दिखाई दीं। उनके अभिनय को बहुत सराहना मिली और उनकी सबसे उल्लेखनीय भूमिकाओं में मंथन (1977) के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अपना पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता। जैत रे जैत (1978), आक्रोश (1980), चक्र (1981) जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का दूसरा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए उनका पहला और एकमात्र फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। नमक हलाल (1982), बाजार (1982), उम्बरथा (1982), शक्ति (1982), अर्थ (1982), अर्ध सत्य (1983), मंडी (1983), आज की आवाज (1984), चिदंबरम (1985), मिर्च मसाला (1985), अमृत (1986) और वारिस (1988) जैसी उल्लेखनीय फिल्में हैं।