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The Railway Man Controversy: वेबसीरीज में भोपाल के कई किरदारों को दिखाया गया है, लेकिन किसी से परमीशन नहीं ली गई। लोगों ने विरोध किया तो यशराज फिल्म्स ने इंकार कर दिया। 

The Railway Man Controversy: आदित्य चोपड़ा की कंपनी वाइआरएफ एंटरटेनमेंट (यशराज फिल्म) के बैनर तले बनी नेट फ्लिक्स की वेबसीरिज ‘द रेलवे मैन -द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ भोपाल 1984’ के जरिए तीन दिसंबर 1984 को हुए भोपाल गैंस कांड के समय भारतीय रेल भोपाल मंडल के कर्मचारियों द्वारा प्रदर्शित असाधारण वीरता की कहानी को दर्शाया गया है, इस वेबसीरिज में दिखाया कि कैसे रिसाव की भयावह के बीच कर्मचारी अपने साथी नागरिकों को बचाने के लिए डटे हुए है। गैस ट्रेजडी की भयावहता को दर्शाती इस वेबसीरिज को दर्शकों का ढेरों प्यार मिल रहा है और इसकी आय.एम.डी.बी रेटिंग भी 8.7 है। लेकिन सीरीज विवादों में हैं। इसमें भोपाल के कई किरदारों को दिखाया गया है, लेकिन किसी से परमीशन नहीं ली गई। लोगों ने विरोध किया तो यशराज फिल्म्स ने इंकार कर दिया। 


मुंबई-गोरखपुर एक्सप्रेस को रोककर, मेरे पिता ने बचाई थी हजारों लोगों की जिंदगी 

जहां इस वेबसीरिज को दर्शकों का ढेरों प्यार मिल रहा है, वहीं इसको लेकर भोपाल के लोगों द्वारा कई आपत्तियां दर्ज की जा रही है, जिसमें एक अनसंग हीरो का किरदार निभाने वाले डिप्टी स्टेशन सुपरिंटेंडेंट को दिखाया है जिसने मुंबई-गोरखपुर एक्सप्रेस को भोपाल स्टेशन से काफी पहले रोककर हजारों लोगों की जिंदगी बचाई थी। इस किरदार के लिए भोपाल के शादाब दस्तगीर का कहना है कि यह भूमिका उनके पिता गुलाम दस्तगीर की है। जो उस वक्त रेलवे सुपरिंटेंडेंट थे और उन्होंने अपने प्रयासों से हजारों लोगों की जान बचाई। शादाब ने कहा कि इस वेबसीरिज का टीजर रिलीज होने के समय ही मैंने मेकर्स को जानकारी दी थी कि इसमें मेरे पिता की भूमिका को लिया गया है और हमसे इस सीरिज में मेरे पिता के रोल के लिए किसी भी प्रकार की सहमति नहीं ली गई। तब उनका कहना था कि 57 सकेंड के टीजर में आप कैसे कह सकते है कि यह रोल आपके पिता का है।

हो सका तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाऊंगा

शादाब ने कहा कि अब जब 18 नवंबर को यह सीरिज रिलीज हुई तब मैंने इसे पूरा देखा तो जाना वाकई में यह मेरे पिता की कहानी पर आधारित है लेकिन इसके लिए मेकर्स ने हमसे किसी भी प्रकार की परमिशन नहीं ली। शादाब ने कहा कि यहां तक कि पिछले 4 दशक में उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया गया और अब जब इस पर फिल्म बनी तो हमसे किसी ने संपर्क कर यह जानने की कोशिश नहीं की कि वास्तव में क्या हुआ था। शादाब के अनुसार  केके मेनन का किरदार मेरे पिता की कहानी पर आधारित है। उन्होंने कहा कि इस वेबसीरिज में मेरे पिता का नाम शामिल करना तो दूर उन्हें श्रद्धाजंलि भी नहीं अर्पित की, जबकि उनके कार्यों को पूरी तरह से वेबसीरिज में दिखाया गया है इसलिए मैं अपने पिता को न्याय दिलाने हाई कोर्ट ओर हो सका तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाऊंगा। 

केसवानी के कार्यों को पत्रकार के किरदार में दिखाया लेकिन मेकर्स ने नहीं ली परमिशन

वरिष्ठ पत्रकार स्व. राजकुमार केसवानी की पत्नी सुनीता केसवानी का भी कहना है कि वेब सीरीज ‘द रेलवे मैन -द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ भोपाल 1984’ में पत्रकार की जो भूमिका दिखाई गई है वह उनके पति की भूमिका से ली गई है, उन्होंने बताया कि मेरे पति ने गैस कांड होने के कई दिनों पहले ही ‘ज्वालामुखी के मुहाने पर भोपाल’ नामक एक लेख प्रकाशित किया था, जिसके एक हफ्ते बाद ही गैस कांड हुआ, क्योंकि वह यूनियन कार्बाइड में कई बार रिपोर्टिंग के लिए जाते थे और देखते थे कि कितने पुराने पाइप हैं, और कितनी अव्यवस्था और इस गैस कांड से कई महीने पहले ही उनके दो दोस्तों की मृत्यु भी यूनियन कार्बाइड की गेस के रिसने की वजह से हुई थी और तभी से वह अलर्ट हो गए थे और मुझसे हमेशा कहते थे कि भोपाल ज्वालामुखी के मुहाने पर है, जब यह पूरे पाइप फट जाएंगे तो भोपाल में सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा और वही हुआ।

सुनीता ने कहा कि इस वेब सीरीज को बनाने से पहले मेकर्स ने मुझसे केसवानी जी और उनके कार्यों की पूरी डिटेल ली लेकिन उन्होंने कहा कि हम राजकुमार केसवानी का नाम किसी भी प्रकार से इस सीरिज में शामिल नहीं करेंगे। तब मैंने अपनी सहमति देने से इनकार कर दिया था क्योंकि हमें पता है कि गैस कांड के वक्त मेरे पति राजकुमार केसवानी ने न केवल अपनी लेखनी से शासन प्रशासन को जगाया था बल्कि हॉस्पिटल और सड़कों पर जान गवां रहे लोगों की भरपूर मदद की। और इसी वजह से गैस का प्रभाव केसवानी के लंग्स और आंखों पर पड़ा।

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