Padma Vibhushan Award Ceremony: 9 मई को दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन हुआ। गुरुवार को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में पद्म पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया। इस दौरान साउथ के सुपरस्टार चिरंजीवी और दिग्गज अभिनेत्री वैजयंतीमाला को सिनेमा में उनके योगदान के लिए देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाजा गया।
2024 के गणतंत्र दिवस के मौके पर पद्म पुरस्कार विजेताओं के नामों की घोषणा की गई थी। जिसके बाद 9 मई को राष्ट्रपति भवन में पुरस्कार वितरण का आयोजन किया गया। इस दौरान चिरंजीवी और वैजयंतीमाला के अलावा मशहूर नृतक पद्मा सुब्रमण्यम को कला क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और बिंदेश्वर पाठक (मरोणपरांत) को भी पद्म विभूषण दिया गया।
वैजयंतीमाला ने जताया आभार
इस मौके पर 90 वर्षीय अभिनेत्री वैजयंतीमाला ने अपनी खुशी जाहिर की। पद्म विभूषण से सम्मानित होने पर उन्होंने गर्व महसूस किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया। उन्होंने सम्मानित होने पर कहा- "मुझपर भगवान की करुणा, दयालुता और दया के लिए उनका धन्यवाद देती हूं। यह हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और भारत सरकार हैं जिन्होंने मेरी कला-नृत्य और फिल्मों को याद कर इसे मान्यता दी। मुझे फिल्मों के लिए 1969 में पद्म श्री पुरस्कार मिला था और अब पद्म विभूषण पाकर मैं बहुत खुश और विनम्र हूं।"
वैजयंतीमाला ने सिनेमा में दिया योदगान
बता दें, दिग्गज एक्ट्रेस वैजयंतीमाला अपने दौर की मशहूर अभिनेत्री रही हैं। उनके फिल्मी करियर का सुनहरा दौर 10 दशक का रहा है। उन्होंने 1955 से 1965 तक हिंदी सिनेमा में तमाम सुपरहिट फिल्मों में काम किया। महज 13 साल की उम्र से ही उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। एक्ट्रेस ने 16 साल की उम्र में तमिल फिल्म 'वड़कई' से अपने अभिनय का सफर शुरू किया।
दीं कई हिट फिल्में
उन्होंने हिंदी फिल्म 'बहार' (1951) से हिंदी सिनेमा जगत में कदम रखा। जिसके बाद 'देवदास', 'मधुमति', 'नया दौर' और 'साधना' जैसी कई हिट फिल्में दीं। 1970 में फिल्म 'गंवार' में आखिर बार नजर आईं, जिसके बाद उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया था। वैजयंतीमाला भरतनाट्यम और संगीत में प्रशिक्षित हैं। उन्होंने महज 4 साल की उम्र में रोम में भरतनाट्यम की प्रस्तुती भी दी थी।