Laapataa Ladies: 29 फिल्मों में से 'लापता लेडीज' ही Oscars 2025 के लिए क्यों चुनी गई? ये है बड़ी वजह

Laapataa Ladies: 29 भारतीय फिल्मों में से किरण राव की लापता लेडीज को Oscars 2025 के लिए भारत से चुना गया है। आखिर इस फिल्म को ऑस्कर के लिए क्यों भेजा गया, इसकी वजह का खुलासा हो गया है।

Updated On 2024-09-24 12:21:00 IST
Laapataa Ladies

Laapataa Ladies in Oscars 2025: निर्देशक किरण राव और आमिर खान की पूरी टीम इस वक्त गर्व से भरी है। उनके निर्देशन में बनी फिल्म ‘लापता लेडीज’ को भारत की तरफ से ऑस्कर 2025 के लिए सिलेक्ट किया गया है। जहां एक ओर बी-टाउन सेलेब्स और फैंस इस खबर से बेहद खुश हैं, तो वहीं सोशल मीडिया पर कुछ लोगों के आरोप भी हैं। लापता लेडीज़ को दर्शकों ने बेहद पसंद किया था। आखिर इसी फिल्म को ऑस्कर के लिए क्यों चुना गया?

किरण राव की फिल्म पहुंची Oscars
नेटिजियंस का मानना है कि पायल कपाड़िया की फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट’ जिसने कान्स फिल्म फेस्टिवल में जीत हासिल की थी, तो उसे ही ऑस्कर 2025 के लिए भेजा जाना चाहिए था। हालांकि ऑस्कर में भेजने का निर्णय लेने वाली फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की 12 मेंबर वाली टीम ने किरण राव की फिल्म लापता लेडीज को ऑस्कर के लिए चुना। आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या था जिसे विश्व के प्रतिष्ठित अवॉर्ड के लिए भारत से सिलेक्ट किया गया है। इसका खुलासा 12 मेंबर की टीम को लीड करने वाले असमिया फिल्मों के डायरेक्टर जाह्नु बरुआ ने किया है।

ऑस्कर के लिए क्यों चुनी गई फिल्म?
जाह्नु बरुआ ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "ऐसे प्रतिष्ठित मंच के लिए जूरी को सही फिल्म का चयन करना होता है, जो सभी मामलों में भारत का प्रतिनिधत्व करती हो। विशेष रूप से जो फिल्म भारत को सोशल सिस्टम और लोक व्यवहार का प्रतिनिधित्व करती हो। भारतीयता को मुख्य रूप से दिखाने में ‘लापता लेडीज’ ने अच्छा परफॉर्म किया है।"

उन्होंने आगे कहा, "यह बात बहुत जरूरी है कि भारत को रिप्रेजेंट करने वाली सबसे बेस्ट फिल्म को ऑस्कर में ऑफिशियली एंट्री के तौर पर भेजा जाए। इसके लिए 29 फिल्मों के अलावा भी कई और बेहतरीन फिल्में हो सकती हैं, लेकिन जूरी केवल उन्हीं में से चुन सकती है जिस बेसिस पर उन्हें चयन करना होता है।"

'लापता लेडीज' ने 29 फिल्मों को दी मात
ऑस्कर के लिए फिल्मों का चयन करने पर बरुआ ने कहा- "हम 7-8 दिनों के लिए चेन्नई में थे और वहा हमें भेजी गई 29 फिल्में देख रहे थे। इस दौरान हम फिल्मों के बारे में गहन चर्चा करते थे... हर एक जूरी के सदस्य का इसपर मजबूत विचार होता था और हमारी चर्चा बढ़ती रहती थी। कई फिल्मों पर चर्चा के बाद हम आखिरकार एक फिल्म पर पहुंचे जिसपर हमने केवल आधा घंटा चर्चा की थी।"
 

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