'हैलो-हाय हमारा कल्चर नहीं': कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता गिरधारी लाल बत्रा का युवाओं का संदेश; कहा-भारतीय संस्कृति अपनाएं

Giridhari Lal Batra Interview, Captain Vikram Batra father Bhopal
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Giridhari Lal Batra: कारगिल युद्ध में हुए शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता गिरधारी लाल बत्रा बुधवार (16 अप्रैल) को भोपाल पहुंचे। हरिभूमि ने विशेष बातचीत में उन्होंने युवाओं से भारतीय संस्कृति के प्रति प्रेरित किया।

Giridhari Lal Batra Interview: भारत पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़ा गया कारगिल युद्ध आज भी सबके जेहन में है। उस युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा ने अदम्य साहस दिखाते हुए चोटी 5140 पर फतह करने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने न केवल पाकिस्तान के 7 जवानों को ढेर किया था, बल्कि बंकर भी नष्ट कर दिए थे। प्वाइंट 4875 के फतह के दौरान वीरतापूर्वक लड़ते हुए 7 जुलाई 1999 को वह शहीद हो गए। भारत सरकार ने मरणोपरांत परमवीर चक्र दिया।

शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता गिरधारी लाल बत्रा बुधवार (16 अप्रैल) को भोपाल पहुंचे। हरिभूमि ने विशेष बातचीत में उन्होंने कहा, हमारी संस्कृति चरण स्पर्श, प्रणाम और सम्मान की है, हैलो, हाय यह हमारी संस्कृति नहीं है। आज युवा किस दिशा में जा रहा है, मैं कई बार इस विषय पर बहुत दुःख होता है और यह चिंता का विषय है। युवाओं से मेरा कहना है कि अपनी संस्कृति की ओर बढ़े।

सवाल: हमारे सैनिकों के शौर्य और अदम्य साहस की गाथाओं को स्कूली शिक्षा व्यवस्था में शामिल किया जाना चाहिए, इसके लिए क्या प्रयास हुए हैं ?
जवाब: निश्चित तौर पर यह बात सही है कि ऐसे बहुत से हीरो हैं, जिनका कारगिल विजय में बहुमूल्य योगदान रहा है, जिनका कई लोग को नाम भी पता नहीं है। इस प्रकार की योजना होनी चाहिए कि समाज तक उनके योगदान की जानकारी पहुंुचे। चाहे वह फिल्म, डाक्यूमेंट्री या फिर अन्य माध्यम हो। ताकि लोगों को पता चले कि किस प्रकार का उनका योगदान रहा है, उन्होने शहादत दी है। किस प्रकार से उनके परिवार आगे बढ़ रहे हैं या पीछे रह रहे हैं, इन सारे पहलुओं पर विशेष रूप से योजना बनाई जानी चाहिए और स्मृति में लाना जरूरी है। स्कूलों में एक विषय देश भक्ति, सांस्कृति धरोहर और हमारे सेना के शौर्य पर होना चाहिए। सरकार के इस दिशा में बेहतर प्रयास की जरूरत है। 

सवाल : हमारा युवा आज रील्स अन्य विषयों में उलझा हुआ है। सेना के प्रति रूझान कम हुआ है। ऐसे में युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगे आप ?
जवाब: हमारे युवाओं की आर्मी या डिफेंस सर्विस में जाने की चाह कम होती जा रही है। ज्यादातर युवा शिक्षा के बाद मल्टीनेशनल, बड़ी-बड़ी कंपनियों को ज्वाइन चाहते हैं। जहां बड़ी सेलरी और लग्जरी लाइफ हो। सोशल मीडिया का भी काफी प्रभाव देखने को मिल रहा है। वेस्टर्न लाइफ को हमारे बच्चे आज फॉलो कर रहे हैं और हमारी जो अपनी संस्कृति से दूर हो रहे हैं। हमारे देश और समाज के प्रति हमारी कर्तव्य भावना से पीछे हट रहे हैं। कई संस्थाएं इस दिशा में जागृति के प्रयास कर रही हैं, अभी और काम की जरूरत है।

सवाल: चीन और पाक की पहले के मुकाबले अब सीमाओं पर स्थिति को लेकर आपका क्या विचार है, क्या सुधार की जरूरत है ?
जवाब: न्यूज पेपर व अन्य माध्यमों जानकारी में आता है कि इस दिशा में बेहतरी हो रही है, वार्तालाप में बेहतरी हो रही है। जमीनीस्तर पर क्या है यह तो हमारे राजनेता ही जानते है। निश्चित तौर पर डिफेंस की मजबूती होना चाहिए, किसी भी देश पर आप 100 प्रतिशत भरोसा नहीं कर सकते हैं। वर्तमान सरकार इस दिशा में ज्यादा प्रयास कर रही है।

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